जयपुर
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2 दिन पहले ही ब्यूरोक्रेसी में बहुत बड़ी सर्जरी करते हुए करीब पौने दो सौ अफसरों को इधर-उधर किया है। इसके बाद चर्चा यह शुरू हो गई है कि अशोक गहलोत के मंत्रिमंडल में भी जल्द बड़ा फेरबदल किया जाएगा।
मुख्य सचिव बीबी गुप्ता को अभी तक भी एक तरह से एपीओ की पोजीशन में रखा गया है, जबकि गृह सचिव रहे राजीव स्वरूप को नया मुख्य सचिव बनाया गया है। राजस्थान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि रिटायर होने से 3 महीने और 8 दिन पहले किसी मुख्य सचिव को हटाकर एपीओ की स्थिति में रखा गया है।
कथित तौर पर कोरोनावायरस के काल के दौरान चिकित्सा सचिव रहते हुए रोहित कुमार सिंह के द्वारा बेहतर कार्य किया गया है, इसके चलते उनको प्रमोट कर के गृह सचिव के पद पर लगाया गया है, जबकि राजीव स्वरूप पहले गृह सचिव हुआ करते थे, उनको मुख्य सचिव बना दिया है।
100 से ज्यादा आईएएस और 63 आईपीएस के तबादले के बाद राजस्थान में अब मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चा तेज हो गई है। बताया जा रहा है कि वर्तमान में कई मंत्री, जिनके परफारमेंस लगभग जीरो है, उनको हटाकर दूसरे लोगों का अवसर दिया जाएगा।
जिन मंत्रियों को हटाने की चर्चा है उनमें शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा, उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी, खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा, डेयरी मंत्री उदयलाल आंजना और इसी तरह से यातायात मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास को भी डिमोटिवेट किया जा सकता है।
जिन को मंत्री बनाए जाने की चर्चा है उनमें नागौर से आने वाले मुकेश भाकर, बहुजन समाज पार्टी से हाल ही में टूटकर आए सभी 6 विधायकों में से किन्ही दो को मौका दिया जा सकता है। इसी तरह से निर्दलीयों में महादेव सिंह खंडेला या फिर संयम लोढ़ा को मंत्री बनाया जा सकता है या राज्य मंत्री का दर्जा दिया जा सकता है।
इसी तरह से कुछ और कांग्रेसी नेता हैं, जिनको संसदीय सचिव के तौर पर नियुक्त कर राज्यमंत्री की पोस्ट दी जा सकती है। पूर्व में मंत्री रह चुके नवलगढ़ से विधायक राजकुमार शर्मा को भी संसदीय सचिव या राज्य मंत्री बनाया जा सकता है।
इसी तरह से जातीय समीकरण को संतुलित करने के लिए कृष्णा पूनिया को मंत्री बनाया जा सकता है। दूसरी तरफ रमेश मीणा की जगह लाखन मीणा या फिर पृथ्वीराज मीणा को मंत्री पद दिया जा सकता है। माना जा रहा है कि जो वर्तमान में मंत्री हैं, उनमें आधा दर्जन कि मंत्रिमंडल से छुट्टी होगी।
राज्य सरकार के पास संसदीय सचिव के सभी पद खाली पड़े हैं। ऐसे में अशोक गहलोत संविधान के मुताबिक अपने निकटतम लोगों को संसदीय सचिव या फिर जिन को मंत्री पद से हटाया जाएगा, उनकी जगह रिक्त पदों पर मंत्री बनाकर ओब्लाइज्ड कर सकते हैं।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार अशोक गहलोत केंद्रीय आलाकमान के साथ इस बारे में गंभीरता से चर्चा कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि कभी भी मंत्रिमंडल विस्तार या मंत्रिमंडल फेरबदल के लिए सूचना जारी की जा सकती है।
प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को कमजोर किए जाने के बाद अब स्पष्ट तौर पर नए मंत्री बनाने में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत फ्री हैंड होकर काम कर रहे हैं। माना जा रहा है कि अब कोई भी मंत्री सचिन पायलट का करीबी नहीं होगा।
सूत्रों का यह भी कहना है कि उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट फिलहाल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा मंत्रिमंडल फेरबदल तक दृष्टि बनाए हुए हैं।
उसके बाद उनकी राजनीतिक मजबूती या फिर कमजोरी के होने पर पायलट की तरफ से ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है।