नई दिल्ली : कई बार महिलाएं मां बनने की प्लानिंग करते हुए बहुत कुछ गलतियां कर देती है जिसकी वजह से गर्भधारण करने में या गर्भावस्था के दौरान कोई न कोई दिक्कत होने लगती है। गर्भधारण करने से पहले कुछ बातो का विशेष ध्यान रखना चाहिए जिससे आगे चलकर कम परेशानी का सामना करना पड़े। गर्भावस्था के दौरान महिला को कई शारीरिक और भावनात्मक बदलावों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में मां और जन्म लेने वाले बच्चे के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि गर्भधारण करने से पहले ही प्लानिंग कर ली जाए। गर्भावस्था के 4 चरण होते हैं- पूर्व गर्भावस्था, गर्भावस्था के दौरान, प्रसव अवधि और प्रसव के बाद।
आइए, जानते हैं इन चारों चरणों के दौरान रखी जानें वाली सावधानियों के बारे में:जब आप माँ बनाने के लिए तैयार हो या योजना बना रही हो तो सब से पहले किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा से मिलें। इस से आप को स्वस्थ प्रेगनेंसी प्लान करने में सहायता मिलेगी। गर्भधारण करने के 3 महीने पहले से जिसे प्री-प्रेगनेंसी पीरियड कहते हैं, डॉक्टर के सुझाव अनुसार जीवनशैली में परिवर्तन लाने से न केवल प्रजनन क्षमता सुधरती है, बल्कि गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याएं भी कम होती हैं और प्रसव के बाद रिकवर होने में भी सहायता मिलती है।
आप को फाइब्रौयड्स और ऐंडोमिट्रिओसिस की संभावना के लिए भी जांच करवा लेनी चाहिए। अगर आप के परिवार में डाउन सिंड्रोम, थैलेसीमिया का इतिहास रहा है तो इस बारे में भी डॉक्टर को बताएं। अगर आप को मूत्रमार्ग संक्रमण होने की जरा भी संभावना हो तो पेशाब की पूरी जांच जरूर करा लें। समस्या निकलने पर गर्भधारण करने से पहले पूरा इलाज कराएं। कहीं आप को डायबिटीज, थायराइड, अस्थमा, किडनी, हार्ट डिजीज वगैरह तो नहीं है। यदि ऐसी कोई शिकायत है तो प्रैगनैंसी से पहले उसे कंट्रोल जरूर कर लें। गर्भ से पहले एचआईवी, हैपेटाइटिस बी सिफिलिस आदि टैस्ट जरूर करवा लेने चाहिए ताकि प्रैगनैंसी या डिलिवरी के समय यह इन्फैक्शन बच्चे में न चला जाए।
आप को ब्लड टैस्ट करा कर यह भी देख लेना चाहिए कि चिकनपौक्स जैसी बीमारियों से बचाने वाले टीके लगे हैं या नहीं. कहीं आप को इन बीमारियों का खतरा तो नहीं, क्योंकि ऐसे इंफेक्शन कोख में पल रहे भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकते हैं।गर्भ से पहले एचआईवी, हैपेटाइटिस बी सिफिलिस आदि टैस्ट जरूर करवा लेने चाहिए ताकि प्रैगनैंसी या डिलिवरी के समय यह इन्फैक्शन बच्चे में न चला जाए। आप को ब्लड टैस्ट करा कर यह भी देख लेना चाहिए कि चिकनपौक्स जैसी बीमारियों से बचाने वाले टीके लगे हैं या नहीं. कहीं आप को इन बीमारियों का खतरा तो नहीं, क्योंकि ऐसे इंफेक्शन कोख में पल रहे भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
सर्वाइकल स्मीयर टैस्ट जरूर करवाए। स्मीयर जांच सामान्यतया गर्भावस्था में नहीं कराई जाती है, क्योंकि गर्भावस्था की वजह से ग्रीवा में बदलाव आ सकते हैं और सही रिपोर्ट आने में कठिनाई हो सकती है। अगर आप का वजन ज्यादा है और बॉडी मास इंडैक्स (बीएमआई) 23 या इस से अधिक है, तो डाक्टर आप को वजन कम करने की सलाह देंगे। वजन घटाने से आप के गर्भधारण करने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं और आप अपनी गर्भावस्था की सेहतमंद शुरुआत कर सकती हैं। अगर आप का वजन कम है तो डाक्टर से बीएमआई बढ़ाने के सुरक्षित उपायों के बारे में बात करें।
यदि आप का वजन कम है तो माहवारी चक्र अनियमित रहने की भी संभावना अधिक होती है. इस से भी गर्भधारण में समस्याएं आती हैं। आप का बीएमआई 18.5 और 22.9 के बीच होना चाहिए। इन बातो का ध्यान रख आपको गर्भ धारण करने में भी कम परेशानियों का सामना करना पड़ेगा और साथ ही आप 9 महीने तक हेल्थी गर्भावस्था का आनंद उठा पाएंगी।