नई दिल्ली : चीन में हुई एक नई रिसर्च में स्वाइन फ्लू का एक नया टाइप देखने को मिला है, जो इस समय कोरोनाकाल में मुसीबत को बढ़ा सकता है। यह स्टडी अमेरिकी साइंस जर्नल PNAS में प्रकाशित हुई है। खोजी गई नई स्वाइन फ्लू बीमारी 2009 में पूरी दुनिया में फैले H1N1 स्वाइन फ्लू की ही अनुवांशिक वंशज है यानी जेनेटिकल डिसेंडेंट। पर यह ज्यादा खतरनाक है। फ्लू के इस नए टाइप का नाम G4 है और यह H1N1 के उसी स्ट्रेन से निकला है, जिसने 2009 में महामारी फैलाई थी। चीन के सेंटर ऑफ डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के वैज्ञानिकों ने इसका पता लगाया है उनका कहना है कि इस नए टाइप में इंसानों को संक्रमित करने की सभी लक्षण मौजूद हैं।
चीन की कई यूनिवर्सिटी और चीन के सेंटर फॉर डिजीस कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के वैज्ञानिको ने कहा है कि नया स्वाइन फ्लू इतना ताकतवर है कि यह इंसानों को बहुत बीमार कर सकता है। नए स्वाइन फ्लू का संक्रमण अगर कोरोना महामारी के दौरान फैल गया तो बहुत बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी। रिसर्चर्स ने नेवलों पर इस वायरस के कई प्रयोग किए चूंकि इनमें बुखार, खांसी और छींक जैसे लक्षण इंसानों से काफी मिलते हैं इसलिए नेवलों का फ्लू के परीक्षणों में काफी इस्तेमाल होता है।
इस रिसर्च में सामने आया कि नेवलों में G4 ने दूसरे फ्लू के वायरसेज़ से कहीं ज्यादा संक्रमण फैलाया।नए स्वाइन फ्लू का नाम है जी4 (G4)। चीन के वैज्ञानिकों ने इसे खोजने के लिए साल 2011 से 2018 तक रिसर्च किया है। इस दौरान इन वैज्ञानिकों ने चीन के 10 राज्यों से 30 हजार सुअरों के नाक से स्वैब लिया। इस स्वैब की जांच की गई। रिसर्चर्स का मानना है कि इंसानों के शरीर में मौजूद यह वायरस उनके शरीर के मुताबिक अपनी अनुकूलता बढ़ा सकता है, जिससे इंसानों में महामारी का खतरा बढ़ जाता है।
वैज्ञानिकों ने सुअरों के साथ काम करने वाले लोगों की सख्ती से निगरानी करने की सलाह दी है।रिसर्चर्स ने जो ब्लड टेस्ट लिए हैं, उसमें पाया गया है कि वायरस के संपर्क में आने के बाद एंटीबॉडी बनी थीं, लेकिन सुअरों के फार्म पर काम करने वाले 10.4 फीसदी लोग पहले ही इससे संक्रमित हो चुके थे। इसमें यह भी पाया गया कि 4.4 फीसदी आम जनसंख्या भी इससे प्रभावित हो चुकी है। इसका मतलब है कि यह वायरस जानवरों से इंसानों में जा चुका है लेकिन इसका कोई सबूत नहीं है कि यह इंसानों से इंसानों में पास हो सकता है या नहीं।