ठाणे: महाराष्ट्र के ठाणे जिले में शनिवार कुछ ऐसा हुआ जिसे देख पूरे जिले के लोगों के होश उड़ गए। दरअसल शनिवार के तड़के 75 वर्षीय कमर अहमद की मौत हो गई। मौत की वजह वृद्धावस्था बताए गईं। सारे लोगों ने जब इसके बारे में सुना तो वे उनके घर मिलने आ गए। इसके बाद सभी परिवार जनों को बुलाया गया और मुस्लिम प्रथा के अनुसार उन्हें दफनाने की विधि आरंभ की गई।उसके बाद सारे रीति रिवाज से सारे घर के पुरुष उन्हें दफनाने के लिए श्मशान घाट की ओर बढ़े। एक कब्र खोदी गई और उन्हें उस में दफना दिया गया। लेकिन अल्लाह को कुछ और ही मंजूर था।
जब सारे लोग कब्र से सब काम को निपटा कर घर लौटे तो उसके बाद शाम को ही कमर अहमद अपने वापस अपने घर पर पहुंच चुके थे। इसे देख परिवार जनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। हालांकि वे लोग पहले तो डर है लेकिन फिर बाद में वे समझ गए कि असली कमर अहमद ही हैं। इसी देश पूरे मोहल्ले में खुशी की लहर दौड़ गई और लोग आश्चर्यचकित रह गए।
जब कमर अहमद से पूछा गया कि आप दोबारा अगर जिंदा वापस कैसे लौटे तो उन्होंने जवाब दिया कि जब यह लोग मुझे दफना करने के लिए तभी मेरी आंखे खुल गई थी। मैंने आवाज भी लगाई लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।लेकिन मुझे उस समय काफी कमजोरी लग रही थी, इसीलिए मैंने ज्यादा जोर से नहीं चिल्लाना समझा चुकी उससे मेरी मौत दोबारा से हो सकती थी। लेकिन किसी तरह मैंने एक डेढ़ घंटे तक आवाज लगाई क्योंकि वहां पर काफी गर्मी थी और हवा भी कम होती जा रही थी। भाग्य से वह साफ सफाई कर रहा शमशान का रखवाला मुझे सुन लिया, और आनन-फानन में मुझे वहां से निकाला।
फिर भी लोग तुरंत ही मुझे तुम लोगों के पास ले आए। हालांकि कहानी सुनने में तो झूठी लगती है लेकिन यह सत प्रतिशत सत्य है। क्योंकि हमारे यहां यह कहावत भी है कि जाको राखे साइयां मार सके ना कोई।