किशोरावस्था तक पहुंचते-पहुंचते कुछ बच्चों का स्वभाव भी बदलने लगता है। बच्चे धीरे-धीरे ज़िद्दी और अड़ियल स्वभाव के हो जाते हैं जिस वजह से उन्हें कोई भी बात समझाना कठिन हो जाता है। ऐसी स्थिति में बड़ों से सीधे मुंह बात न करना, किसी से बातचीत में असभ्य भाषा का इस्तेमाल करना, बच्चे की यहीं आदतें आपकी परवरिश पर सवाल उठाने लगती है। ऐसे में बच्चों को हमेशा अनुशासन में रखने के लिए यह तरीके अपनायें।
दो-ढाई साल की उम्र में बच्चे घर के सदस्यों से सबकुछ सिखते हैं। इसलिए अपने बच्चे में अच्छी आदतें डालने के लिए अभिभावकों को उनकी इसी उम्र में सजग हो जाना चाहिए। अपने बच्चों के सामने अपना व्यवहार सहीं रखें जैसे बड़ों को सम्मान दें तो छोटों के साथ प्यार से बात करें। आपको ऐसा करते देख बच्चे भी यहीं सीखेंगे।
बाहर भी रखें अनुशासन
अगर आप अपने बच्चों के साथ सार्वजनिक स्थल पर जा रहे है तो वहां भी बच्चों के अनुशासन का पूरा ख्याल रखें। उन्हें दूसरे बच्चों के साथ मिलकर खेलने की शिक्षा दें और मारपीट या गलत हरकतें न करने जैसी बातें समझाएं।
बच्चों में छोटी-छोटी बातों पर रूठना या ज़िद्द करने की आदत होती है पर अभिभावकों को उनकी इस आदत पर गुस्से करने की जगह धीरे-धीरे उन्हें समझाना चाहिए। उन्हें प्यार से समझाएं कि तुम्हारी हर बात मानना न मुमकिन है। अगर बच्चा गुस्से में तोडफ़ोड़ या हिंसक व्यवहार करने लगे तो उसकी ज़िद्द को पूरा न करें बल्कि ऐसी स्थिति में उससे शांत रहने को कहें।
सभी का आदर करने की दें शिक्षा
बच्चों की शरारतें और प्यारी-प्यारी बातें तो सभी को अच्छी लगती है लेकिन कभी-कभी वह कई अपशब्दों का इस्तेमाल कर देते हैं। बच्चे की ऐसी हरकत को नादानी समझकर अनदेखा न करें क्योंकि इससे बच्चों को अपनी गलती का एहसास नहीं होगा। बच्चों की ऐसी हरकत करने पर उसे रोके न की हंसकर बात को टाल दें। बच्चों को केवल परिवार के साथ ही नहीं बल्कि आसपास के लोगों के साथ विनम्र व्यवहार करना चाहिए। बच्चे को समझाएं कि उन्हें सभी के साथ प्यार से पेश आना चाहिए।