संक्रमण समाप्त होने के 9 सप्ताह बीते लेकिन 2 घंटे से ज्यादा कम नहीं कर पातीं

अस्पताल का आईसीयू यानी वो स्थान जहां मरीज को तभी लाया जाता है जब उसकी हालत गम्भीर होती है. कोरोना महामारी के दौर में इसकी तस्वीर थोड़ी बदली है. अब आईसीयू में मरीजों की जान बचाने चिकित्सक खुद को भी वायरस से दूर रखने की जद्दोजहद में फंसे हैं.

आईसीयू में उपचार के दौरान मरीजों से फैले कोरोना के कण उनके चारों ओर बढ़ रहे हैं. वैज्ञानिक भाषा में इसे 'वायरस लोड' का नाम दिया गया है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, वायरस लोड सबसे ज्यादा आईसीयू में होता है, इसके बाद दूसरे वार्ड में.
ब्रिटेन के रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियंस में हुई हालिया शोध कहती है कि अस्पताल के एक चौथाई से अधिक चिकित्सक बीमार हैं या कोविड-19 के कारण क्वारेंटाइन में हैं. चिकित्सा जगत की विश्वसनीय वेबसाइट मेडस्केप के मुताबिक, ब्रिटेन में कोविड-19 से मरने वाले हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स का आंकड़ा 630 की संख्या को पार कर गया है.
डॉक्टर्स के लिए वायरस लोड का संकट बढ़ रहा है क्योंकि ये मरीजों के सैम्पल ले रहे हैं, ऑक्सीजन दे रहे हैं, चेकअप कर रहे हैं. इस दौरान वायरस के कण मरीज से डॉक्टर्स तक पहुंच रहे हैं. एक रिसर्च के मुताबिक, मेडिकल प्रोफेशनल्स 7 से 8 घंटे की नींद नहीं पूरी कर पा रहे हैं. यह स्थिति संक्रमण का खतरा बढ़ती है व हार्ट डिसीज, डायबिटीज व स्ट्रोक की संभावना बढ़ती है.
1. लॉन्ग कोविड का पहला मुद्दा : ड्यूटी के एक सप्ताह बाद ही दिखने लगे लक्षण डाक्टर जेक स्यूट की आयु 31 वर्ष है व इनकी तैनाती आईसीयू वार्ड में हुई थी. 3 मार्च को इनकी ड्यूटी कोरोना से जूझ रहे लोगों को बचाने में लगाई गई थी. 20 मार्च को पहली बार कोरोना के लक्षण दिखे. संक्रमण समाप्त होने के बाद भी जेक इसके साइडइफेक्ट से जूझ रहे हैं. सप्ताह में 4 से 5 बार जिम जाने वाले जेक 3 महीने बाद भी सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, मेमोरी लॉस, आंखों की घटनी लाइट से परेशान हैं. हालत ऐसी है कि वह अब तक कार्य पर नहीं लौट सके हैं.
वह कहते हैं कि जब मैंने पहले तीन दिन बेड पर गुजारे तो ऐसा लगा कि मैं मरने वाला हूं, सब कुछ बहुत ज्यादा परेशान करने वाला था. अभी भी मेरे पैरों व हाथों में बहुत ज्यादा दर्द रहता है. तब से हालत में सुधार तो हुआ है लेकिन बेहद धीमी गति से. डाक्टर जेक फेसबुक के उस ग्रुप से जुड़े हैं जिसमें चिकित्सक समेत 5000 ऐसे लोग हैं जो लम्बे समय से कोरोना से जूझ रहे हैं. 14 हफ्तों से अधिक समय तक रहने वाले संक्रमण को 'लॉन्ग कोविड' का नाम दिया गया है. डाक्टर जेक कहते हैं कि मैं चाहता हूं वैज्ञानिक इस पोस्ट कोविड सिंड्रोम कपर रिसर्च करें व पता लगाएं कि क्यों हजारों लोग इतनी बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं.
2. लॉन्ग कोविड का दूसरा मुद्दा : लुसी बेली की आयु 32 वर्ष है. पहली बार कोरोना के लक्षण 27 अप्रैल को दिखे थे लेकिन अब भी वह घर पर दो घंटे ज्यादा देर तक कार्य नहीं कर पाती हैं. बीमारी के 9वें सप्ताह से गुजर रहीं लुसी कहती हैं कि लोग सोचते हैं अगर आपकी मृत्यु कोरोना से नहीं हुई व 2 सप्ताह निकाल ले गए तो आप बच जाएंगे लेकिन आप लॉन्ग कोविड से भी गुजर सकते हैं. लुसी ट्विटर पर लिखती हैं कि हर 20 में से एक इंसान संक्रमण के एक महीने बाद भी रिकवर नहीं कर पा रहा है. मैं 8 हफ्तों के बाद भी इससे उबर नहीं पाई हूं. संक्रमण से पहले मैं स्वस्थ थी मुझे कोई बीमारी नहीं थी. लॉकडाउन हट गया है, सावधान रहें, ऐसा आपके साथ भी होने कि सम्भावना है.
इम्पीरियल कॉलेज लंदन में इम्युनोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डैने अल्तमेन कहते हैं, कोरोना के लम्बे समय तक दिखने वाले साइडइफेक्ट पर स्टडी हो रही है. डॉ जेक को भी इसमें शामिल करने के लिए बुलाया गया है. इसे समझना बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि डॉक्टर्स को मरीज देखने जाना ही पड़ता है. इसका प्रभाव नेशनल हेल्थ सर्विस के लिए कार्य करने वाले हेल्थ वर्कर व मरीजों पर पड़ सकता है.

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