इस स्थिति में लोग शनिवार के दिन शनिदेव को तेल चढ़ाकर उनकी कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं. वहीं बहुत कम लोग जानते हैं कि आखिर शनिदेव को ये तेल क्यों चढ़ाया जाता हैं? जी दरअसल इसके पीछे एक पौराणिक कथा हैं जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं.
जब समुद्र पर रामसेतु बांधने का काम चल रहा था, तभी हनुमानजी पर शनि की दशा शुरू हुई थी. ऐसे में राक्षसों द्वारा उस रामसेतु को नुकसान पहुँचाने का खतरा बढ़ गया था. हनुमानजी को अपने बल और कीर्ति के लिए जाना जाता हैं, इसलिए शनिदेव ने खुद उन्हें ग्रह चाल की व्यवस्था के नियम को बताया था. वहीं उस समय रामसेतु के निर्माण का कार्य हनुमानजी के हाथ में ही था इसलिए उन्होंने जवाब देते हुए कहा था कि, "वे प्रकृति के नियम का आदर करते हैं लेकिन रामसेवा उनके लिए प्राथमिक हैं. इसलिए उन्हें प्रकृति के इस नियम का उल्लंघन करना होगा."
कहा जाता है हनुमानजी ने शनिदेव के सामने एक बात कही थी. जी दरअसल उन्होंने कहा था कि जब ये राम-काज समाप्त हो जाएगा तो मैं स्वयं आपके पास आकर अपना सम्पूर्ण शरीर आपको सौप दूंगा. हालाँकि शनिदेव ने हनुमानजी के इस बात को सुनने के बाद इसे नकार दिया था. इसके बाद शनिदेव जैसे ही हनुमानजी के शरीर पर हावी हुए तो बजरंगबली ने खुद को विशाल पर्वतों से टकराना शुरू कर दिया. ऐसे में उस समय शनिदेव जिस भी अंग पर हावी होते, हनुमानजी उसी अंग को जोर से पर्वतों से टकरा देते. अंत में शनिदेव बुरी तरह घायल हो गए और उन्होंने हनुमानजी से माफ़ी भी मांगी.