बक्सर : नगर परिषद में हुए होल्डिग टैक्स घोटाले में लीपापोती कर चाहे तो को बचाने का खेल शुरू कर दिया गया है। जो लोग इस घोटाले में शामिल थे वह भी अपना सारा दोष अब दिवंगत हो चुके टैक्स दरोगा स्व.मनराज सिंह के ऊपर लाद कर मामले से निकल जाना चाहते हैं।
सूत्र बताते हैं कि घोटाले में अकेले कार्यपालक का नाम भले ही उछल रहा हो लेकिन, उसके अलावे भी ऐसे कई अधिकारी व सफेदपोश हैं जो पर्दे के पीछे से इस घोटाले के खेल को संचालित करते रहे हैं। जानकार बताते हैं कि कार्यपालक सहायक परिषद का छोटा प्यादा होता है और वह दिवंगत कर दारोगा के साथ मिलकर इतनी सफाई से 31 लाख 60 हजार रुपये की बड़ी रकम का गबन नहीं कर सकता है। जैसे-जैसे घोटाले के राज एक-एक कर खुलते जा रहे हैं, घोटाले में पर्दे के पीछे से अपना काम संचालित करने वाले लोग सक्रिय हो रहे हैं।
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दिवंगत कर दारोगा की हैंडराइटिग को बनाया जा रहा है बचाव का हथियार
इस मामले में त्रिस्तरीय समिति ने जो जांच रिपोर्ट सौंपी है उसमें यह स्पष्ट उल्लेख है कि कर की राशि को बैंक में नहीं जमा कराया गया। बताया जा रहा है कि जांच समिति ने यह भी बताया है कि कई जगहों पर कर दारोगा स्वर्गीय मनराज सिंह की हैंडराइटिग समझ में नहीं आ रही है। ऐसे में इस घोटाले में फंस रहे लोगों को अब एक नया हथियार मिल गया है। उनका कहना है कि मनराज सिंह के द्वारा उनकी हैंडराइटिग में सारे पैसों का हिसाब लिखा हुआ है, लेकिन वह समझ नहीं आ रहा। ऐसे में यह बताने की कोशिश हो रही है कि जो राशि गायब हुई है, वह दिवंगत कर दारोगा ने ही गायब की गई है।
कार्यपालक सहायक की यू•ार आईडी पर कई सहायक कर रहे थे कार्य
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लाखों रुपये के गबन के इस खेल में कई लोगों के शामिल होने का मामला इसी बात से स्पष्ट हो जाता है कि कार्यपालक सहायक आशुतोष कुमार सिंह की यूजर आईडी पर कई सहायक कार्य कर रहे थे। सभी के द्वारा धड़ाधड़ होल्डिग टैक्स के पैसे लेकर लोगों को रसीद थमाई जा रही थी। 1 नवंबर 2016 से लेकर 30 जून 2018 तक चार ऑपरेटरों द्वारा सिस्टम जेनरेटेड कुल 92 लाख 42 ह•ार 426 रुपये की रसीद काटी गई। जिस पर कर दारोगा तथा सहायक कर दारोगा के हस्ताक्षर हैं। नियमानुसार कार्यपालक सहायक को टैक्स रसीद काटे जाने का अधिकार नहीं है।
मामला उजागर हुआ तो जमा कराई गई हाल में वसूली गई राशि
यह मामला जब धीरे-धीरे सतह पर आने लगा तो 30 जून 2018 को आशुतोष कुमार सिंह की यूजर आईडी तथा पासवर्ड को बंद करा दिया गया। जिससे कि लोग धीरे धीरे इस बात को भूल जाए, हुआ भी ऐसा ही। जब घोटाले पर चर्चा बंद हुई तो पुन: 1 सितंबर 2019 से कार्यपालक सहायक की आईडी को फिर से शुरू किया गया। उस समय से लेकर 6 जून 2020 तक कुल 12 लाख 84 ह•ार 462 रुपये का कर संग्रह किया गया था। मजे की बात यह है कि यह राशि भी बैंक में नहीं जमा कराई गई थी। जबकि, प्रतिदिन की राशि बैंक में जमा करानी होती है। इसी बीच जैसे ही मुख्य पार्षद माया देवी के द्वारा यह मामला प्रकाश में लाया गया, आनन-फानन में राशि को बैंक में जमा करा दिया गया।
मामले में आज हो सकता है अहम फैसला
इस मामले में आज शनिवार को होने वाली सशक्त समिति की बैठक में कोई अहम फैसला हो सकता है। संभव है कि मामले में दोषियों के नाम उजागर किए जाए। हालांकि, संभावना यह भी बन रही है कि जिस प्रकार पिछले दिनों कार्यपालक पदाधिकारी ने जांच फिर से कराए जाने की बात कही थी उस पर भी विचार किया जाए।
Posted By: Jagran
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