असफलता का डर सबसे बड़ा डर होता है. आप जितनी ऊंचाई पर पहुंच जाते हैं, उतने ही अकेले महसूस करते जाते हैं. लक्ष्यों की दौड़ में आप हर दिन अपने ऊपर बड़ा तनाव पाल लेते हैं.
अपनी इमेज को मैंटेन करने का दबाव व दूसरों से तुलना की वजह से अंधी दौड़ में जीना भूल जाते हैं. मोटिवेशनल स्पीकर डाक्टर उज्ज्वल पाटनी से जानें प्रैक्टिकल ढंग जिनसे आप खुद को ऐसी परिस्थितियों से बचा सकते हैं :
1. पड़ावों का आनंद लीजिए: अपनी बड़ी मंजिलों के बीच में छोटे-छोटे पड़ाव रखिए व छोटी उपलब्धि का भी जश्न मनाइए, वरना मेहनत के बाद बड़ी मंज़िल पर पहुंचकर भी आप बेहद अकेले महसूस करेंगे.
2. किसी सामाजिक संस्था का भाग बनिए: खुद को किसी सामाजिक, सामुदायिक या राष्ट्रीय मिशन से जोड़िए. जब आप ऐसी जगहों पर लोगों को प्रयत्न करते हुए देखते हैं तो अपनी तकलीफें बौनी लगने लगती हैं.
3. संबंधियों से मिलते रहिए: जिन भी संबंधियों से विचार मिलते हैं, उनसे मिलते रहिए. हिंदुस्तान में डिप्रेशन की दर दूसरे राष्ट्रों की तुलना में कम होने की वजह हमारा अद्भुत पारिवारिक ढांचा व आपसी मेल-मिलाप ही है.
4. पुराने दोस्तों से मिलते रहिए: वे दोस्त जिनसे आप अपने मन की बातें शेयर कर सकते हैं, बिना परिणाम सोचे गुस्सा हो सकते हैं, उनसे लगातार मिलते रहिए.
5. इडियट डे मनाइए: पावर थिंकिंग नामक कृति का ‘इडियट डे’ सिद्धांत बहुत ज्यादा लोकप्रिय हुआ है. इस सिद्धांत के अनुसार हर माह एक दिन ऐसा मनाइए जब आप किसी भी नियम को ना मानें. पतंग उड़ाएं, क्रिकेट खेलें, जो मन करे वह करें, मगर खुद में ज़िंदा हो जाएं.
6. मोटिवेशनल स्पीकर्स को सुनिए: हम जैसे मोटिवेशनल स्पीकर्स के वीडियो सुनकर अपने भीतर की नकारात्मकता को दूर हटाइए. अपनी रुचि अनुसार वीडियो देखिए व अपनी बैटरी को दिन भर के लिए चार्ज कीजिए.