लॉकडाउन पाबंदियों में ढील के बावजूद मॉल्स का कारोबार 77 प्रतिशत गिरा: रिपोर्ट

नई दिल्ली: कोरोना वायरस से प्रभावित वातावरण में इस माह के पहले पखवाड़े में मॉल्स के अंदर की दुकानों के कारोबार में एक साल पहले की तुलना में 77 प्रतिशत की गिरावट आई है.

वहीं, बाजारों की दुकानों का कारोबार 61 प्रतिशत गिर गया है. रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई) की एक ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. यह एसोसिएशन संगठित क्षेत्र की खुदरा कंपनियों का मंच है.
इसकी रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस के चलते मार्च में लागू पाबंदियों में ढील दिए जाने के बावजूद बाजार की छोटी-बड़ी दुकानों तथा स्टोर्स के कारोबार में अभी सुधार नहीं हुआ है.
आरएआई के सर्वे में छोटी-बड़ी 100 से अधिक खुदरा दुकानदारों की राय शामिल की गई है. पाबंदियों में जून के शुरू में ढील दी गई और 70 दिन से अधिक समय के बाद बाजार खुलने लगे हैं.
आरएआई ने बयान में कहा है कि उपभोक्ताओं का उत्साह अब भी गिरा हुआ है. उसने अपने हाल के सर्वे का उल्लेख करते हुए कहा है कि देश में हर पांच में से चार उपभोक्ता मानता है कि पाबंदियां हटने के बाद भी उसके उपभोग खर्च में पहले की तुलना में कमी ही रहेगी.
बयान में कहा गया है कि शीघ्र सेवा रेस्तरांओं की बिक्री 70 प्रतिशत गिर गई है. कपड़े और परिधान की खुदरा बिक्री 69 प्रतिशत और घड़ी और अन्य व्यक्तिगत उपयोग की वस्तुओं का कारोबार 65 प्रतिशत नीचे है.
संगठन का कहना है कि बाजार धीरे-धीरे खुलने जरूर लगे है. केंद्र सरकार ने अर्थव्यस्था को पुन: चालू करने के लिए पाबंदी हटाने का अच्छा फैसला किया है पर राज्यों को अपनी जिम्मेदारी पूरी करनी होगी. उन्हें यह देखना होगा कि सभी प्रकार की खुदरा दुकानें नियमित रूप से चल सकें.
आरएआई के मुख्य कार्यपालक कुमार राजगोपालन ने कहा, 'हम अर्थव्यवस्था को फिर चालू करने की केंद्र की मंशा और इसके लिए प्रथम चरण के विस्तृत दिशानिर्देशों की सराहना करते हैं. इस मामले में यह महत्वपूर्ण है कि राज्य अपनी जिम्मेदारी लें और यह सुनिश्चित करें कि सभी प्रकार की खुदरा दुकानें नियमित रूप से चल सकें.'
बता दें कि हाल ही में एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने कहा था कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ा है और चालू वित्त वर्ष में इसमें चार प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका है.
रिपोर्ट में कहा गया था कि परचेज़िंग मैनेजर इंडेक्स (पीएमआई) जैसे सभी संकेतक गिरावट का संकेत दे रहे हैं. पीएमआई अप्रैल में अब तक के सबसे न्यूनतम स्तर पर रहा.
शहरों में नौकरी गंवाने के बाद प्रवासी मजदूर अपने-अपने गांवों को लौटे हैं. ऐसा लगता है कि पाबंदियों में ढील के बावजूद उनके शहरों में लौटने की गति धीमी होगी. ऐसे में जीडीपी में 2020-21 में 4 प्रतिशत की गिरावट आएगी. हालांकि अगले वित्त वर्ष 2021-22 में इसमें 5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है.

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