महिलाओ के नियमित योग-मेडिटेशन करने से स्वास्थ्य पर पड़ेगा यह प्रभाव

मेनोपॉज के बाद से स्त्रियों (45-50 साल के बाद) में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी से कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. हाल के कई शोधों में स्पष्ट हुआ है कि जो महिलाएं नियमित योग-मेडिटेशन करती हैं तो उनमें मेनोपॉज का दुष्प्रभाव बहुत कम हो जाता है.

अधिकांश स्त्रियों में हार्मोनथैरेपी देने की आवश्यकता नहीं पड़ती है. एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी से स्त्रियों में इम्युनिटी भी घटती है. योग-मेडिटेशन से हार्मोन संतुलन हो जाता है. इम्युनिटी भी बनी रहती है. इसे रेस्टोरेटिव योग कहते हैं. मेनोपॉज के बाद से स्त्रियों की इम्युनिटी घटने लगती है. संक्रमण का खतरा बढ़ता है. नॉन कम्युनिकेबल डिजीज जैसे डायबिटीज, हाई बीपी, ऑस्टियोपोरेसिस, हार्ट डिजीज की संभावना बढ़ती है. उनमें अनिद्रा, तनाव, रात में सोते समय पसीना आना व मानसिक समस्या आदि लक्षण भी दिखते हैं. इनमें भी राहत जो महिलाएं हफ्ते में पांच दिन एक-एक घंटे योग-ध्यान करती हैं उनमें मेनोपॉज के दुष्प्रभाव जैसे नींद में परेशानी, ज्यादा पसीना आना, घबराहट, बेचैनी, याद्दाश्त में कमी व तनाव आदि में भी राहत मिलती है. दूसरी अभ्यास जैसे साइकलिंग व रनिंग आदि करने वाली स्त्रियों की तुलना में योग-ध्यान करने वाली स्त्रियों में मेनोपॉज का दुष्प्रभाव कम होता है. ब्रेस्ट कैंसर का उपचार करवा रही स्त्रियों में भी योग-ध्यान से फायदा मिलता है. कई व भी फायदे हैं.

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