21 june yoga day : इस लॉकडाउन में जानिए योग से तनाव दूर करने के उपाय

इस समय दुनिया कोरोना जैसी खतरनाक महामारी से जूझ रही है। चीन के वुहान शहर से फैली यह बीमारी दुनिया के लगभग हर देश में दस्तक दे चुकी है। इस बीमारी ने चीन, अमेरिका, इटली, ब्रिटेन और भारत जैसे देशों में सबसे अधिक अपना प्रकोप दिखा रही है। इस बीमारी ने जल्द ही कई लोगों को अपनी चपेट में ले लिया और हजारों लोगों की जानें गयीं। जिसके बाद हर देश ने अपने यहां लॉकडाउन लगा दिया। भारत मे इस समय पांचवे चरण का लॉकडाउन चल रहा है। लोग पिछले 3 महीने से अपने घरों में कैद हैं। इससे लोग डिप्रेशन का भी शिकार हो रहे हैं। यही कारण है कि लोग योग की शरण मे जा रहे हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक इंसान का मूड बदलता रहता है।मन से नकारात्मक विचारों को बाहर निकालने और सकारात्मक विचार को लेने के लिए विशेषज्ञ अक्सर घूमने-फिरने, प्रकृति के साथ समय गुजारने व दिल को भाने वाले काम करने की सलाह देते हैं। हालांकि, कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के दबाव के चलते ये सारी गतिविधियां मुमकिन नहीं हो पा रही हैं। इसी के मद्देनजर डिप्रेशन के शिकार मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा होने की आशंका जताई है।
कई लोग इसी डिप्रेशन के चलते सुसाइड जैसे कदम भी उठा ले रहे हैं जैसे अभी हमने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के केस में देखा। आज 21 जून है यानी विश्व योग दिवस। आज हम आपको ऐसे योग क्रिया बताएंगे जो डिप्रेशन भगाने में सहायक होंगे।
प्राणायाम और अनुलोम विलोम की सभी प्रक्रियाएँ तनाव शैथिल्य के कारगर उपाय समझे जाते हैं। यदि आप दाहिने ओर के नथुने को बंद कर बाईं तरफ के नथुनों से साँस लेते हैं तो तनाव दूर होता है, इसी के उलट दाहिने नथुने से साँस लेने पर तत्काल ऊर्जा हासिल होती है। हम अपनी सामान्य जिंदगी में फेफड़ों का पूरी क्षमता से कभी इस्तेमाल ही नहीं करते। इसके लिए अलग से किए गए अभ्यास से यह फायदा होगा कि धीरे-धीरे यह आदत में शामिल हो जाएगा।
लंबी और गहरी साँस...
फेफड़ों से पूरी क्षमता का काम लेना हो तो उसे ऑक्सीजन से भरना जरूरी है। इसके लिए लंबी और गहरी साँस ही मुफीद होगी। स्वास और प्रच्छवास दोनों लंबे और धीमी गति से पूर्ण किए जाने चाहिए। आमतौर पर ऐसा सिर्फ नाक से साँस लेने पर ही किया जा सकता है। मुँह से साँस लेकर भी इसकी गति को धीमे किया जा सकता है लेकिन अपेक्षित परिणाम नहीं मिलेंगे।
कैसे करें...
●पद्मासन अथवा सुखासन में रीढ़ की हड्डी बिलकुल सीधी रखते हुए बैठें।
●दाहिने नथुने को सीधे हाथ के अँगूठे से बंद कर लें। शेष अँगुलियों को आकाश की ओर रखें।
●बाएँ नथुने से फेफड़ों में साँस भरकर अंदर रोक लें। इस नथुने को अंगुलियों की मदद से बंद कर लें। धीरे-धीरे साँस दाहिने नथुने से बाहर निकाल दें।
●अब दाएँ नथुने से साँस अंदर की ओर भरें। अँगूठे की मदद से इसे बंद कर लें और थोड़ी देर रुककर बाएँ नथुने से बाहर निकाल दें। ऐसा 5 से 10 मिनट तक नियमित रूप से करें।
फायदा...
●शरीर में ऑक्सीजन का बहाव बढ़ेगा। इससे शरीर के प्रत्येग अंग में नई ऊर्जा का संचार होगा और रोगविहीन शरीर हासिल होगा। मन की उद्विग्नता शांत होगी।
●फेफड़ों में पहले से जमा विषैले पदार्थ बाहर निकलेंगे।
●एंडोर्फिन का उत्पादन बढ़ेगा जिससे अवसाद दूर होगा।
●फेफड़ों को अतिरिक्त फुलाने से एकाग्रता, धैर्य, लचीलापन तथा प्रतिरोध शक्ति बढ़ेगी। इससे पिट्यूटरी ग्रंथि का स्राव बढ़ेगा जिससे अंतर्दृष्टि भी बढ़ेगी।
●इससे रीढ़ की हड्डी के स्राव का बहाव मस्तिष्क की ओर बढ़ेगा जिससे संपूर्ण शरीर की ऊर्जा में भी वृद्धि होगी।
●आभामंडल बढ़ेगा और असुरक्षा की भावना खत्म होगी साथ ही भय भी जाता रहेगा।
●रक्त शुद्धि होगी।
●नकारात्मक भावनाओं पर नियंत्रण हो सकेगा और जिससे बुरी आदतों पर लगाम लगेगी। पुराना ढर्रा भी टूट सकेगा।
संतुलन बढ़ेगा....
●मस्तिष्क के दोनों हिस्सों का संतुलन बढ़ेगा।
●प्रभावशीलता और शांति में इजाफा होगा।
●मानसिक स्थिति में बदलाव होगा।
●किसी प्रेजेंटेशन अथवा महत्वपूर्ण मीटिंग जिसमें आपके नर्वस होने के अवसर अधिक हों उसमें जाने से पहले ये यौगिक क्रियाएँ अवश्य करें। इससे आपको नर्वसनेस पर काबू पाने में मदद मिलेगी। आपकी घबराहट शांत रहेगी और आप किसी प्रश्न का उत्तर बिना उत्तेजित हुए दे सकेंगे।
●जीवन में लगातार तनावग्रस्त रहते हों तो प्रतिदिन इन यौगिक क्रियाओं से आपको बहुत फायदा होगा।
इसके अलावा कुछ योग मुद्राएं भी हैं:
शवासन — इसे योग निद्रा के नाम से भी जानते हैं। ज़मीन पर एक आसान बिछाकर पीठ के बल सीधे लेट जाइए। दोनों पैरों के बीच करीब एक फुट का अंतर हो तथा दोनों हाथों को भी शरीर से थोड़ी दूरी पर रखें व हथेलियों को ऊपर कि तरफ खोलकर रखें। आँखों को बंद करके शरीर को ढीला छोड़ें और ऐसे विचार सोचिए जिससे मन प्रसन्न हो जाए। थोड़ी देर बाद हथेलियों को आपस में रगड़कर आँखों पर रखें और उठते हुए अपने-आप को स्वास्थ्य और तनाव मुक्त महसूस करें।
मकरासन — पेट के बल लेट जाएँ। दोनों हाथों को मोड़ते हुए उस पर माथा टिकाकर रखें। शरीर को ढीला छोड़ दें और सकारात्मक चिंतन करते हुए अपने आप को आत्म-केन्द्रित कीजिए। इसको करने से व्यक्ति शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी हल्का महसूस करता है।
बालासन — पेट के बल लेटकर दोनों हाथों को मोड़ते हुए सिर के नीचे रखें और गर्दन को दाईं ओर घुमाएँ। एक पैर को थोड़ा मोड़कर बच्चों को तरह लेट जाएँ। यह आसान थकान दूर करने के लिए बहुत उपयोगी है।
तनाव का मुख्य कारण होता है नकारात्मक सोच। इसलिए हमेशा खुश रहना चाहिए व सकारात्मक विचारों का ही चिंतन करें।
इसके अलावा ध्यान की भी विभिन्न मुद्राएं हैं जिनसे तनाव यानी डिप्रेशन को दूर किया जा सकता है।
(नोट : योग की सभी क्रियाएं किसी योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें।)

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