दो दशक में पहली बार वसुंधरा राजे पार्टी अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां के सामने बैठीं!

जयपुर।

जब 2003 में राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व परिवर्तन किया गया, उसके बाद से लेकर अब तक करीब 2 दशक में पहली बार वसुंधरा राजे शनिवार को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के समक्ष एक सामान्य कार्यकर्ता की तरह बैठी नजर आई हैं।
भाजपा की तरफ से जोधपुर संभाग के लिए पहली संवाद रैली में शिरकत करने के लिए भाजपा अध्यक्ष डॉ सतीश पूनियां, राष्ट्रीय सह संगठन प्रभारी वी सतीश, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र सिंह राठौड़ पार्टी कार्यालय पहुंचे थे।
इस दूसरी वर्चुअल रैली से पहले करीब 20 मिनट तक इन नेताओं के बीच गुप्त मंत्रणा हुई।
जब मीटिंग शुरू हुई तो उससे पहले वसुंधरा राजे के कार्यालय पहुंचने पर उन्होंने कार्यकर्ताओं से अन्य नेताओं के बारे में पूछा।
उनको अध्यक्ष डॉ पूनियां के कक्ष में होने की बात कही। इसके बाद वसुंधरा राजे सतीश पूनिया के कमरे में पहुंचीं, वहां पर पहले से ही मौजूद वी सतीश, गुलाब सिंह कटारिया और राजेंद्र राठौड़ मौजूद थे।
अध्यक्ष डॉ सतीश पूनियां के कक्ष में वसुंधरा राजे ने प्रोटोकॉल के मुताबिक उनके सामने वाले सोफे पर बैठकर चर्चा की।
हालांकि इसके बाद कक्ष को बंद कर दिया गया और करीब 20 मिनट तक इन टॉप क्लास नेताओं के बीच में गुप्त मंत्रणा हुई। समझा जाता है कि अध्यक्ष सतीश पूनिया की आने वाली कार्यकारिणी को लेकर भी मंत्रणा हुई है।
इसके बाद एक और वाक्य वर्चुअल रैली के लिए बनाए गए मंच पर घटा, जहां पर 4 लोगों के लिए कुर्सियां लगाई गई थीं। जब वसुंधरा राजे बगल वाली कुर्सी पर बैठी तो खुद अध्यक्ष सतीश पूनिया ने उनको बीच वाली कुर्सी पर बुलाया।
इस दौरान दोनों के बीच एक दूसरे को सम्मान देते हुए "जहां हैं, वहीं पर ठीक हैं", की औपचारिकता की गई। लेकिन आखिरकार अध्यक्ष पूनियां के द्वारा थोड़ी सी मनुहार किए जाने पर वसुंधरा राजे उनके बगल वाली कुर्सी पर बैठीं।
इन दोनों वाकयों को लेकर प्रदेश कार्यालय में पूरी रैली और उसके बाद भी नई-पुरानी चर्चाओं ने जोर पकड़ा। आपको बता दें कि साल 2003 के दौरान वसुंधरा राजे को राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था।
उसके बाद से लेकर अब तक पहली बार ऐसा हुआ है कि वसुंधरा राजे के लिए अलग से मुख्यमंत्री वाला कक्ष बनाया गया था, उसमें या फिर जो पार्टी अध्यक्ष का कक्ष बनाया गया है, उसमें मुख्य सीट पर नजर नहीं आई हैं।
मज़ेदार बात यह रही कि जब वसुंधरा राजे डॉ पूनियां के सामने बैठी थीं, जब अध्यक्ष बातचीत करने के दौरान किसी लिखित काम में भी व्यस्त थे। इस दौरान राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री वी सतीश ने अन्य नेताओं के साथ अपने लंबे अनुभव साझा किए।
उल्लेखनीय है कि जब वसुंधरा राजे पार्टी अध्यक्ष थीं। उसके बाद 2003 में मुख्यमंत्री बनीं और उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद ओम माथुर को अध्यक्ष बनाया गया।
ओम माथुर के बाद अरुण चतुर्वेदी अध्यक्ष बने और अरुण चतुर्वेदी के बाद अपने दूसरे कार्यकाल में वसुंधरा राजे की पसंद के अशोक परनामी को अध्यक्ष बनाया गया।
साल 2019 में अशोक परनामी की हटने के बाद मदनलाल सैनी को अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन राज्यसभा सांसद मदनलाल सैनी का कार्यकाल लंबा नहीं रहा।
उनके निधन के बाद पार्टी ने डॉ सतीश पूनिया को सितंबर में अनोपचारिक और दिसम्बर 2019 में औपचारिक तौर पर अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी है।
शहीदों के सम्मान में डॉ सतीश पूनिया ने उतारी चप्पल
रैली की शुरुआत होने से पहले पार्टी कार्यालय में मौजूद सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने खड़े होकर 2 मिनट के लिए चीन की सीमा पर शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान मंच पर मौजूद चार नेताओं में से केवल डॉ सतीश पूनिया ने अपनी चप्पल उतारी।
वरिष्ठ और अनुभवी होने के बावजूद नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ और लंबे समय से राजस्थान की राजनीति में सक्रिय व दो बार मुख्यमंत्री रह चुकीं वसुंधरा राजे ने भी अपने पैरों से चप्पल जूते नहीं खोले।

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