नई दिल्ली, 19 जून (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र से कहा कि वह सभी प्रवासी मजदूरों को तय समयसीमा के अंदर उनके घर भेजे और अदालत के आदेश का पालन सुनिश्चित करे। शीर्ष अदालत ने नौ जून को आदेश दिया था कि प्रवासी श्रमिकों को उनके मूल स्थानों पर ले जाने की प्रक्रिया 15 दिनों में पूरी हो जानी चाहिए।कोरोनावायरस संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम. आर. शाह की पीठ ने नौ जून को केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि वे 15 दिनों के भीतर सभी प्रवासी कामगारों को उनके मूल स्थानों पर भेज दें।
इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने उनके लिए रोजगार योजनाएं बनाने को भी कहा था। इतना ही नहीं, पीठ ने केंद्र को 24 घंटे के भीतर राज्यों को अतिरिक्त ट्रेनों की सुविधा देने का भी निर्देश दिया था, जिससे प्रवासी श्रमिकों को उनके मूल स्थानों पर वापस भेजा जा सके।
पीठ ने केंद्र से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि प्रवासियों को वापस भेजे जाने के लिए किसी भी भुगतान की आवश्यकता न हो। वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि अदालत का पिछले आदेश का सही भावना के साथ पालन नहीं हो रहा है।
पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को आदेश का पालन करने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से बात करने को कहा। पीठ ने मामले पर अगली सुनवाई जुलाई में तय की है।
न्यायमूर्ति शाह ने साफ किया है कि तमाम प्रवासी मजदूरों को आदेश के 15 दिनों के भीतर उनके पैतृक गांव भेजे जाने का निर्देश है। न्यायमूर्ति शाह ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि 15 दिनों की अनिवार्यता नहीं है। न्यायमूर्ति शाह ने कहा कि हाईकोर्ट को सूचित किया जाना चाहिए कि शीर्ष अदालत का आदेश अनिवार्य है।
यानी सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर किया है कि उसका नौ जून का दिया आदेश अनिवार्य रूप से लागू होना चाहिए और सभी प्रवासी मजदूर 15 दिनों के भीतर उनके पैतृक गांव पहुंचाए जाने चाहिए।
मेहता ने कहा कि राज्यों से कहा गया है कि वे प्रवासियों को लाने-ले जाने के लिए गाड़ियों के लिए अपनी मांग प्रस्तुत करें। मेहता ने कहा कि यह कार्य होते ही 24 घंटे के भीतर ट्रेनें प्रदान की जा रही है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि पलायन के दौरान मजदूरों पर दर्ज किए गए लॉकडाउन उल्लंघन के मुकदमे वापस लिए जाएं। सभी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन किया जाए और जो मजदूर घर जाना चाहते हैं, उन्हें 15 दिन के अंदर घर भेजा जाए। शीर्ष अदालत ने कहा था कि अगर राज्य सरकारें अतिरिक्त ट्रेन की मांग करती हैं तो केंद्र 24 घंटे के अंदर मांग पूरी करे।
-आईएएनएस