नई दिल्ली, कोरोनावायरस महामारी फैलने के बाद लद्दाख में जन-जीवन ठहर सा गया था। और, अब इसके साथ इलाके में भारतीय व चीनी सेना के बीच व्याप्त तनाव ने लद्दाख के पर्यटन की चूलें हिला कर रख दी हैं।
मार्च में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू होने से पहले लेह के मुख्य पर्यटन केंद्रों पर विदेशी और घरेलू पर्यटकों की जमावड़ा देखने को मिल रहा था। पर्यटक चहमकदमी करते हुए खरीदारी करते हुए देखे जा रहे थे, मगर अब पीक टूरिस्ट सीजन में यहां का बाजार सूना पड़ा हुआ है।
यहां की दुकानों पर कोई व्यवसाय नहीं हो रहा और खरीदारी के लिए कोई ग्राहक नहीं है। यह जगह अब सुनसान नजर आ रही है। हिमालय एडवेंचर स्टोर चलाने वाले दोरजी का कहना है कि कारोबार में 90 फीसदी की गिरावट आई है।
उन्होंने कहा, मुख्य कारण कोरोनावायरस है, लेकिन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पनपे हालात ने भी प्रभाव डालना शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि हर साल भारतीय क्षेत्र में चीनी घुसपैठ की कुछ घटनाएं होती हैं, लेकिन इस साल यह बहुत बढ़ गई है।
पर्यटन लद्दाख की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। लेह में ज्यादातर लोग आजीविका के लिए पर्यटन पर निर्भर हैं। लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी देव परिषद के उपाध्यक्ष त्सेरिंग सैंदुप ने कहा कि पिछले साल 2.8 लाख पर्यटक लद्दाख आए थे, लेकिन इस साल कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन होने से पहले ही कुछ हजार पर्यटकों ने ही यहां का दौरा किया।
उन्होंने कहा, पर्यटन इस साल शून्य पर आ गया है। इसका असर होटल और ट्रैवल एजेंसियों पर भी दिख रहा है। कुछ होटल बंद हैं तो कुछ ने परिचालन कम कर दिया है। जो होटल खुले हैं, वे भी ग्राहकों की राह देख रहे हैं।
एक होटल के मालिक ने कहा, यह सबसे मुश्किल समय में से एक है, जिसका सामना फिलहाल हम कर रहे हैं। इससे पहले लद्दाख में पर्यटन कभी इतना कम नहीं देखा गया।
कस्बे में वैसे तो जन-जीवन ठहरा हुआ ही दिख रहा है, फिर भी लेह में खुले एक बाजार में कुछ चहल-पहल देखी जा रही है। विक्रेताओं का कहना है कि वे सप्ताह में केवल तीन दिन बाजार खोलते हैं, लेकिन मुश्किल से ही कोई ग्राहक आ रहा है। एक विक्रेता ने कहा, ऐसा लगता है कि 2020 साल अपने साथ सभी तरह की समस्याएं एक साथ लेकर आया है।
आईएएनएस