केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने गुरुवार को देश की पहली चलती-फिरती प्रयोगशाला की आरंभ की है. आई-लैब वैन देश के दूर-दराज व ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर कोरोना की टेस्टिंग करेगी.
आई-लैब एक दिन में 25 आरटी-पीसीआर टेस्ट व 300 एलाइजा टेस्ट कर सकती है. इसके अतिरिक्त इसमें टीबी व एचआईवी जाँच की सुविधा भी है, जो सरकारी योजना के मुताबिक दरों पर की जाएगी.
आई-लैब की फंडिंग विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कोविड-19 कार्यक्रम के तहत की है. केन्द्र सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना से रिकवर होने वालों की दर बढ़कर 52.95 प्रतिशत हो गई है. देश में कोरोना के अब तक 1.94 लाख मरीजों का उपचार किया जा चुका है. आई-लैब की आरंभ उस समय की गई है जब देशभर में कोरोना के मुद्दे 3,66,946 तक पहुंच चुके हैं.
विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने आंध्र प्रदेश मेड-टेक ज़ोन (एएमटीजेड) के साथ स्वास्थ्य देखभाल प्रौद्योगिकी की देश में कमी को दूर करने के लिए डीबीटी-एएमटीजेड कमांड समूह की आरंभ की है. एएमटीजेड एशिया का पहला चिकित्सा उपकरण विनिर्माण पार्क है जो चिकित्सा प्रौद्योगिकी के लिए समर्पित है. इसे कई मंत्रालयों से योगदान मिलता है. मोबाइल जाँच लैब इसी पहल का एक नतीजा है.
आठ दिन में तैयार हुई आई-लैब केंद्रीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन ने कहा, केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने कहा, आंध्र प्रदेश मेड-टेक ज़ोन टीम ने डीबीटी के समर्थन से रिकॉर्ड आठ दिन में आई-लैब को तैयार किया. देश में अब 100 प्रयोगशालाओं के साथ 20 से अधिक हब हैं. इनमें 2,60,000 से अधिक नमूनों का परीक्षण किया गया है. उन्होंने बोला कि अभी देश के सभी कोनों में 953 परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं. डीबीटी सचिव रेणु स्वरूप ने बताया कि भारतीय वैज्ञानिकों के प्रयासों से देश ने प्रतिदिन पांच लाख से अधिक परीक्षण किट बनाने की क्षमता हासिल की है जबकि लक्ष्य 31 मई तक एक लाख परीक्षण किट का था.