यह एक ऐसी आयु है जिसमें भविष्य के लिहाज से आदमी रोगों से ग्रस्त होने के साथ उनसे मुक्ति पाने के जतन भी कर सकता है. इस एज गु्रप के ज्यादातर स्वस्थ व्यक्तियों में दिल रोगों, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज व जोड़ों की समस्याएं पैदा होती हैं. किसी प्रकार की बुरी आदत यदि महिला या पुरुष को है तो वह इस आयु में छोड़कर स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं.
चीनी-नमक का सीमित इस्तेमाल : खानपान में तली-भुनी, मसालेदार चीजों और जंकफूड से दूरी लाइफस्टाइल रोगों से बचाती है. चीनी और नमक को सामान्य से कम ही लें. इनसे स्वाद बढऩे के अतिरिक्त अंगों पर दबाव भी पड़ता है.
विटामिन-डी की पूर्ति जरूरी : ज्यादातर लोग खूबसूरत दिखने की चाह में धूप में कम निकलते हैं. इस एज गु्रप में शरीर में सूरज की लाइट से मिलने वाले विटामिन-डी की कमी होने लगती है. यह नेचुरल लुब्रिकेंट होता है जो हड्डियों को मजबूत बनाता है और एनर्जी का बेहतरीन स्त्रोत है.
मानसिक और शारीरिक संतुलन बनाएं : घर के काम, कार्यालय और बच्चों की जिम्मेदारी के कारण यह आयु तनावभरी होती है. ऐसे में खुद के लिए दिन का 30 मिनट का समय जरूर निकालें. इसके लिए सप्ताह में छह दिन 30 मिनट फिजिकल एक्टिविटी या मेडिटेशन, त्राटक जैसे मेंटल वर्कआउट करें.
रंग-बिरंगे फल खाएं : पपीता, आम, सेब, अनार, आड़ू़, केला जैसे फलों को खानपान में शामिल करें. एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर ये फल हार्मोंस भी बैलेंस करते हैं. महिलाएं डाइट में सोयाबीन प्रोटीन को शामिल कर सकती हैं ताकि भविष्य में होने वाली हड्डियों की नेचुरल कमजोरी को दूर कर सकें