अमरीका के रहने वाले जॉन मैंडरोल 2010 में 46 वर्ष के थे व यूएसए साइकलिंग मास्टर्स रोड नेशनल चैंपियनशिप के लिए दिनरात ट्रेनिंग कर रहे थे.
एक दिन ट्रेनिंग के दौरान उनका दिल असामान्य गति से धड़कने लगा. पेशे ्रसे एक कार्डियक इलेक्ट्रोफिजयोलॉजिस्ट जॉन तुरंत इस लक्षण को पहचान गए क्योंकि वे रोज ऐसे ही मरीजों से दो-चार होते थे. जाँच करने पर उन्होंने पाया कि वे एट्रिएल फाइब्रिलेशन (AFib) के मरीज हो गए हैं जिसमें दिल की धड़कनों का अनियमित रूप से धड़कना व हार्टरेट को नियंत्रण में ला पाना कठिन होता है जिससे स्ट्रोक का खतरा भी बढ ज़ाता है. लेकिन यहां सवाल यह है कि डॉक्टर तो व्यायाम करने को दिल के लिए अच्छा बताते हैं. फिर एक सीमा से ज्यादा अभ्यास करना इतना खतरनाक क्यों हो जाता है. इस विषय में लोगों की अनदेखी को देखते हुए अब शोधकर्ताओं ने इस पर ध्यान देना प्रारम्भ कर दिया है. शोधकर्ताओं का बोलना है कि कुछ एथलीट जो चरम सीमा तक व्यायाम करते हैं उन्हें दिल से जुड़ी इस तरह की समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है.
दिल का आकार बदल देता है व्यायाम अध्ययनों से पता चला है कि लगातार व्यायाम हमारे दिल के आकार को नयी आकृति प्रदान करता है. जब प्रतिदिन एक स्थायी गति, दर व दोहराव वाले व्यायाम लंबे समय तक किए जाते हैं तो इससे दिल पर जोर पड़ता है जिससे यह फैलकर व बड़ा व मजबूत बनकर रिएक्शन करता है ताकि यह व्यायाम के दौरान अधिक रक्त पंप कर सके. मेलबर्न विश्वविद्यालय (Melbourne University) के हृदयरोग विशेषज्ञ एंड्रे ला हरशे कहते हैं कि बारबेल उठाने से बाइसेप्स मजबूत व विकसित होते हैं. ऐसे ही लगातार लंबे समय तक बेहद जटिल अभ्यास करने वाले एथलीट का दिल सामान्य आदमी की तुलना में आकार से दोगुना बड़ा व अधिकसक्षम होने कि सम्भावना है. लेकिन इस प्रक्रिया में दिल पर अत्यधिक दबाव पड़ता है.
लगातार भारी एक्सरसाइज़ से आ सकती सूजन
एंड्रे ला हरशे कहते हैं कि दिल का यह बढ़ा हुआ आकार आमतौर पर एक अच्छी बात है क्योंकि इसका मतलब है कि दिल रक्त को अधिक कुशलता से पंप कर सकता है. लेकिन कुछ मामलों में, लंबे समय तक क्षमता से अधिक व्यायाम करने से दिल पर छोटी सूजन या घाव के कारण भी दिल का आकार बड़ा या बदला हुआ नजर आ सकता है. टेक्सास स्वास्थ्य प्रेस्बिटेरियन अस्पताल के यूटी सदर्न मेडिकल सेंटर में इंस्टीट्यूट फॉर अभ्यास एंड एनवायर्नमेंटल मेडिसिन के निदेशक बेंजामिन लेविन का बोलना है कि अभिजात वर्ग के इन एथलीटों का दिल युवा व प्राकृतिक रूपसे लचीला है जो अन्य लोगों की ही तरह ही सामान्य रूप से काम करते हैं. हां इतना जरूर है कि लगातार लंबे समय तक इंटेंस वर्कआउट से दिल को एएफआइबी का जोखिम बढ़ जाता है. इसमें थिंक मैराथन प्रशिक्षण, क्रॉस-कंट्री बाइक राइड व एन्ड्यूरेंस अभ्यास के अन्य मल्टीऑवर प्रशिक्षण जैसे किक बॉक्सिंग, मिक्स्ड मार्शल आट्र्स शामिल किए जा सकते हैं.
500 गुना तक बढ़ जाता है खतरा अमरीका के कंसास शहर के कॉर्डियोलॉजिस्ट जेम्स ऑश्फीक का बोलना है कि क्रॉनिक एक्सट्रीम अभ्यास करने से एट्रियल फाइब्रिलेशन का खतरा लगभग 500 से 800 गुना तक बढ़ जाता है. 2013 में, स्वीडिश शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन प्रकाशित किया था जिसमें वेसलोपेट में भाग लेने वाले 52 हजार से अधिक स्कीइंग करने वाले खिलाडिय़ों के बीच एएफआइबी के जोखिम की जाँच की गई. ये सभी स्कीयर्स 1989 से 1998 के बीच स्वीडन में 90 किलोमीटर की क्रॉस-कंट्री स्की दौड़ में भाग लेने वाले एथलीट थे. जांचकर्ताओं ने पाया कि जिन स्कीयर्स ने क्रॉस-कंट्री स्की दौड़ में सबसे तेज़ समय रेकॉर्ड किया था उन्हें एएफआइबी का जोखिम सबसे अधिक था. इतना ही नहीं 2019 में इन्हीं शोधकर्ताओं ने एक अन्य अध्ययन में 208,654स्वेडिश स्कीअर्स पर किए शोध में पाया कि जिन स्कीअर्स ने 1989 से 2011 के बीच 30 किमी या इससे ज्यादा की एक से ज्यादा क्रॉस कंट्री रेस पूरी की हैं उनमें भी एएफआइबी का होने का खतरा सबसे अधिक था. शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन स्कीअर्स ने सबसे तेज या सबसे पहले फिनिश लाइन पार की है उनमें दिल संबंधी परेशानियों के खतरे औरों से ज्यादा थे. हालांकि महिला स्कीअर्स में परिणाम के आंकड़े अपेक्षाकृत कम नजर आए.
स्ट्रोक का 27 प्रतिशत कम खतरा अध्ययन का सबसे जरूरी निष्कर्ष यह था कि वे स्की रेसर जिनमें एएफआइबी का होने का खतरा सबसे अधिक था उनमें स्ट्रोक का 27 प्रतिशत कम जोखिम था व सामान्य आबादी के व्यक्तियों की तुलना में हृदयाघात से मरने का 43 फीसदी कम जोखिम था. अध्ययन का तर्क है कि ऐसे एथलीट नॉन-एथलीट्स की तुलना में बेहतर करते हैं. लेकिन इस बात का निष्कर्ष नहीं निकल सका कि कितनी अभ्यास करने पर किसी आदमी या एथलीट में एएफआइबी विकसित होने का अंदेशा होता है. जॉन मैंडरोल का बोलना है कि यह शायद केवल व्यायाम पर नहीं बल्कि अन्य चीजों जैसे आदमी की आनुवंशिकी व पर्यावरणीय कारकों पर भी निर्भर करता हैं. हां इतना अवश्य है कि यह स्त्रियों की तुलना में पुरुषों में ज्यादा है.
उच्च स्तरीय व्यायाम करने से बचें वहीं लेविन के समूह ने संभावित चिंता का अवलोकन किया है. उनके अनुसार जो लोग उच्च स्तरीय भारी व्यायाम करते हैं उनमें कोरोनरी कैल्शियम का स्तर बढ़ सकता है. यह एथेरोस्क्लेरोसिस को बढ़ाता है जो अंतत: दिल रोग का कारण बन सकता है. उन्होंने पाया है कि भारी व्यायाम करने वालों में लगभग 10 प्रतिशत तक कोरोनरी कैल्शियम के बढऩे का जोखिम होता है. वहीं ऐसी उच्च स्तरीय अभ्यास करने वालों में कोरोनरी कैल्शियम के उच्च स्तर वाले कार्डियोवास्कुलर अटैक व मौत दर का 25 प्रतिशत तक कम जोखिम था. वर्ष की आरंभ में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि मैराथन के प्रशिक्षण व मैराथन पूरा करने वालों की धमनियां अधिक कोमल बन गई थीं जैसे उनकी आयु चार वर्ष कम हो गई हो. लौरा एफ। डेफीना के नेतृत्व में एक शोध दल ने कूपर सेंटर लॉन्गिट्यूडिनल स्टडी के एक डेटाबेस का उपयोग करके 66 प्रतिभागियों का अध्ययन किया. उन्होंने पाया कि प्रति हफ्ते लगभग 35 घंटे या अधिक शारीरिक गतिविधि के बराबर चरम स्तर पर व्यायाम करने वाले एथलीटों के दिल रोग से मरने का खतरा नहीं होता है.
मुस्कुराइए क्योंकि उपचार संभव है अच्छी समाचार यह है कि एएफआईबी आमतौर पर पचार योग्य होता है. अक्सर एक शल्य चिकित्सा जिसे एक एबलेशन कहते हैं की जाती है. यह दोषपूर्ण विद्युत सिग्नलिंग में शामिल ऊतक को नष्ट कर देता है. इसे दूर करने का सबसे अच्छा उपाय है कि हम भारी अभ्यास व लगातार हार्ड ट्रेनिंग ने करें. इसके अतिरिक्त अपनी ज़िंदगी शैली व स्वास्थ्य के लिए हानिकारक आदतों को बदलकर भी इससे छुटकारा पाया जा सकता है. लंबे समय तक कार्य करना व पर्याप्त नींद लेने से भी इसका खतरा बढ़ जाता है. तनावपूर्ण कार्य छोडऩे के बाद ज्यादातर रोगियोंमें एबलेशन की जरुरत ही नहीं रह जाती क्योंकि एएफआईबी स्वत: बंद हो जाता है.