भोपाल 17 जून (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश की राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव होने वाले हैं। विधायकों की संख्या के आधार पर भाजपा को दो और कांग्रेस को एक सीट मिलना तय माना जा रहा है। इसके बावजूद अंदरखाने उठापटक की कोशिशों के प्रयास जारी है। राज्य में रिक्त हुई राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव होने को हैं और चार उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें भाजपा के दो उम्मीदवार- कांग्रेस छोड़कर आए पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी हैं तो वहीं कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और दलित नेता फूल सिंह बरैया मैदान में हैं।
विधायकों की संख्या वर्तमान में 206 है, क्योंकि 24 विधानसभा सीटें रिक्त हैं और आगामी समय में यहां उपचुनाव होने वाले हैं।
विधानसभा सूत्रों के अनुसार, एक उम्मीदवार को निर्वाचित होने के लिए 52 विधायकों का वोट हासिल करना जरूरी है। भाजपा के 107 विधायक हैं और कांग्रेस के 92। इस आधार पर भाजपा के दोनों उम्मीदवारों का निर्वाचित होना तय है, वहीं कांग्रेस का एक उम्मीदवार निर्वाचित होगा।
राज्यसभा की सीटों के लिए 19 जून को होने वाले मतदान से पहले दोनों दल विधायकों का संख्या बल होने के बावजूद पूरी तरह सजग और सतर्क हैं। आशंकाओं से दोनों घिरे हैं, यही कारण है कि कांग्रेस ने बुधवार को विधायक दल की बैठक बुलाई। यह बात अलग है कि इस विधायक दल की बैठक में बड़ी संख्या में विधायक गैरहाजिर रहे। वहीं दूसरी ओर, भाजपा ने विधायकों की बैठक गुरुवार शाम को छह बजे पार्टी कार्यालय में बुलाई है।
कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी के तौर पर पहली बार भोपाल आए मुकुल वासनिक ने विधायकों से कहा कि आपने एकजुटता का परिचय दिया है, राज्य में जनमत की सरकार को गिराने के लिए जिस प्रलोभन का सहारा लिया गया, उसे आप लोगों ने नकार दिया। आगामी राज्यसभा चुनाव के अलावा भविष्य में भी विधायक एकजुटता का परिचय देंगे, ऐसी उम्मीद है।
कांग्रेस के अंदर चल रही खींचतान पर नजर दौड़ाई जाए तो एक बात साफ होती है कि पिछले दिनों कुछ विधायकों ने एक बैठक कर वरीयता सूची में प्राथमिकता दलित नेता फूल सिंह बरैया को देने पर जोर दिया था। इसके बावजूद पार्टी ने प्रथम वरीयता पर दिग्विजय सिंह का नाम रखने का फैसला लिया है।
कांग्रेस विधायक दल की बैठक में विधायकों की अनुपस्थिति को लेकर भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष विजेश लूनावत ने तंज कसते हुए ट्वीट किया, मध्यप्रदेश कांग्रेस विधायक दल की बैठक में अंदरखाने की खबर- 92 में से केवल 50 विधायक उपस्थित!!! बाकी के वोट कहां जा रहे हैं कंपनी बहादुर?
उन्होंने आगे कहा, लो, अब ये क्या सुनाई दे रहा है .. दादा भाई के अनुज छोटे राजा भी कंपनी बहादुर की बैठक में नहीं पहुंचे। क्या वे अब तक खफा हैं कि कहीं राजा की राज्यसभा की राह में राघोगढ़ का रोड़ा तो नहीं पड़ रहा!
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए हो रहे चुनाव में दो भाजपा और एक कांग्रेस को मिलना तय है, मगर विधायक दल की बैठक में कांग्रेस के कई विधायकों के न पहुंचने से बहस छिड़ना तो लाजमी है, मगर नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ने वाला, क्योंकि कांग्रेस के एक उम्मीदवार को 52 वोटों की जरूरत है, जबकि विधायक 92 हैं। कांग्रेस दूसरी सीट के लिए जोर लगा ही नहीं रही है।
-आईएएनएस