शोधकर्ताओं ने पाया है कि एल्डोस्टेरोन का ज्यादा उत्पादन हाई ब्लड प्रेशर का एक सामान्य लेकिन कम पहचाने जाने वाला कारण है. प्राथमिक एल्डोस्टेरोनिज्म एक ऐसी स्थिति है,
जहां एंड्रिनल ग्रंथियां हार्मोन एल्डोस्टेरोन का बहुत अधिक उत्पादन करती हैं, जिससे हाई ब्लड प्रेशर व दिल रोग होता है. www.myupchar.com से जुड़े डाक्टर आयुष पांडे का बोलना है कि एल्डोस्टेरोन एड्रिनल ग्रंथि द्वारा बनाया जाने वाला एक हार्मोन है. एंड्रिनल ग्रंथि किडनी के ऊपर उपस्थित एक छोटी ग्रंथियां होती है. यह हार्मोन रक्त में सोडियम व पोटैशियम के जमाव को सामान्य रखने में जरूरी किरदार निभाता है. इसके अलावा यह रक्त के दबाव को भी नियंत्रित करने में मदद करता है. ज्यादा एल्डोस्टेरोन से शरीर में पोटैशियम का स्तर असंतुलित हो जाता है, जिससे हाई ब्लडप्रेशर की स्थिति पैदा हो जाती है.जर्नल एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के निष्कर्षों ने हाई ब्लडप्रेशर के लिए एक सामान्य व न पहचाने जाने वाले कारक के रूप में हार्मोन एल्डोस्टेरोन को पहचाना है.हाई ब्लडप्रेशर दुनियाभर में 1.5 बिलियन (150 करोड़) से ज्यादा लोगों को प्रभावित करता है व यकीनन दिल रोग व स्ट्रोक का जोखिम बढ़ाता है.शोधकर्ताओं के मुताबिक, प्राथमिक एल्डोस्टेरोनिज्म को परंपरागत रूप से हाई ब्लडप्रेशर का एक असामान्य कारण माना जाता है. हालांकि, इस अध्ययन के निष्कर्षों से पता चलता है कि यह पहले से पहचाने जाने की तुलना में बहुत अधिक सामान्य है.इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए, चार मेडिकल सेंटर्स के शोधकर्ताओं ने सामान्य ब्लड प्रेशर वाले, स्टेज 1 हाइपरटेंशन, स्टेज 2 हाइपरटेंशन व रजिस्टेंट हाइपरटेंशन के मरीजों का अध्ययन किया. उन्होंने यह अध्ययन अलावा एल्डोस्टेरोन उत्पादन व प्राथमिक एल्डोस्टेरोनिज्म की व्यापकता का निर्धारण करने के लिए किया.उन्होंने पाया कि अलावा एल्डोस्टेरोन उत्पादन की निरंतरता थी, जो ब्लडप्रेशर की गंभीरता को कम करती है. जरूरी रूप से इस अलावा एल्डोस्टेरोन के अधिकतर उत्पादन को वर्तमान में नैदानिक दृष्टिकोणों द्वारा मान्यता नहीं दी गई होगी.चूंकि, सामान्य दवाएं जो एल्डोस्टेरोन के हानिकारक प्रभावों को रोकती हैं, वह पहले से ही उपस्थित हैं व सरलता से उपलब्ध हैं. इन निष्कर्षों से पता चलता है कि हाई ब्ल्ड प्रेशर के उपचार के लिए इन दवाओं का अधिक बार प्रयोग करना दिल रोग के जोखिम को कम करने का एक प्रभावी उपाय होने कि सम्भावना है.www.myupchar.com से जुड़े एम्स के डाक्टर नबी वली का बोलना है कि हाई ब्लड प्रेशर एक साइलेंट कातिल के रूप में जाना जाता है. आदमी का दिल धमनियों के जरिए खून को शरीर में पंप करता है. धमनियों में बहने वाले खून के लिए एक निश्चित दबाव महत्वपूर्ण है. लेकिन किसी वजह से जब यह दबाव अधिक बढ़ जाता है, तो धमनियों पर दबाव पड़ता है व इसे ही हाई बीपी कहते हैं. आमतौर पर कई लोगों को इसके कोई लक्षण तब तक नहीं दिखते हैं जब तक कि उन्हें दिल का दौरा या स्ट्रोक जैसी कोई गंभीर समस्या नहीं हो जाती है. कुछ लोगों में सिर दर्द, नाक से खून बहना, सांस लेने की दिक्कत, चक्कर आना, सीने में दर्द या पेशाब में खून आना जैसी समस्या हो सकती है.