एकमात्र कश्मीरी पंडित सरपंच की हत्या के बीच कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास का 2340 करोड़ रुपया घोटाले की भेंट चढ़ गया

नई दिल्ली।

पिछले दिनों कश्मीर में रहने वाले एकमात्र कश्मीरी पंडित की हत्या किए जाने के बाद यह बात सामने आई है कि प्रवासी कश्मीरी पंडितों की वापसी और पुनर्वास व सामंजस्य के लिए काम करने वाले दिल्ली की एक एनजीओ ने सोमवार को 2340 करोड रुपए के घोटाले की जांच के लिए जम्मू व कश्मीर प्रशासन द्वारा स्थापित जांच समिति को खारिज कर दिया है।
इस घोटाले का भंडाफोड़ इस संगठन ने 17 मई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया था इस मामले की जांच या तो केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई या भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो एसीबी से कराने की मांग दोहराते हुए संगठन के अध्यक्ष सतीश महल दार ने कहा है कि इस समिति में उन लोगों को शामिल किया गया है जो इस घोटाले में शामिल हैं।
यह राशि कश्मीरी पंडित समुदाय के पीड़ित सदस्यों की सहायता मंजूर की गई थी लेकिन नेशनल कॉन्फ्रेंस पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के राजनीतिक कार्यकर्ता पिछले 30 वर्षों से इस के मानसिक लाभ से सन 1990 से ही अपनी जेब भर रहे थे जब यह मंजूर की गई थी।
महल दार ने खुलासा किया है कि उन्होंने तीन पार्टियों के ऐसे 5000 राजनीतिक कार्यकर्ताओं की सूची जारी की है जिन्होंने कश्मीर में खुद के मकानों में रहने के बावजूद ₹13000 प्रतिमाह की दर से राशि प्राप्त की और झूठा दावा यह किया कि वह भी जबरन निकाले गए कश्मीरी पंडितों की तरह पीड़ित हैं।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि 11 जून की अधिसूचना के माध्यम से जो पांच सदस्य जांच समिति गठित की गई है, इसमें वे लोग शामिल हैं जिन्होंने प्रताड़ित पंडितों के लिए किए गए धन के प्रावधान का खुद के लिए इस्तेमाल किया है।
उन्होंने दावे के साथ कहा कि ऐसा प्रतीत होता है तथाकथित समिति का गठन घोटाले पर पर्दा डालने के लिए किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार पीड़ितों को न्याय देने के प्रति गंभीर संवेदनशील नहीं है।
अधिसूचना में कहा गया है कि यह 5 सदस्य समिति नगद, सहायता राशन, खाद्यान्न, जोड़ना, काटना, विभाजन, केस बुक, केस अकाउंट खाता इत्यादि से संबंधित सरकारी रिकॉर्ड की विस्तृत ऑडिट करेगी, इसके बाद इसकी विस्तृत रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत करेंगी।
संगठन के अध्यक्ष ने कहा है कि प्रश्न यह है कि किस प्रकार एक व्यक्ति कश्मीर में उसके घर में आराम से रह रहा है, जिसे मुफ्त में पैसा दे दिया गया है, जबकि वह राशि बेघर, जरूरतमंद, गरीबों और भगाए गए कश्मीरी पंडितों को मिलना चाहिए था।
उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि यह मानवता के प्रति अपराध नहीं है? क्या जो लोग जिम्मेदार हैं, उन्हें बेनकाब करके दंडित नहीं किया जाना चाहिए?

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