लिंग निर्धारण-रोधी 4 अप्रैल की अधिसूचना पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

नई दिल्ली, 15 जून (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की चार अप्रैल की अधिसूचना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें गर्भधारण से पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम के तहत कुछ नियम कोरोना महामारी के मद्देनजर अस्थायी रूप से निलंबित कर दिए गए हैं।न्यायमूर्ति यू. यू. ललित ने अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया, लेकिन इस पर स्टे लगाने (रोकने) से इनकार कर दिया।

पीठ ने कोरोनावायरस महामारी को देखते हुए कहा, देखिए कि देश में किस तरह के मुश्किल हालात हैं। इन सभी कार्यों के लिए बहुत सारे चिकित्सा पेशेवर और डॉक्टर आवश्यक हैं। हम एक राष्ट्रीय आपातकाल में हैं और छूट भी 30 जून तक है।
हालांकि शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता साबू मैथ्यू जॉर्ज को वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख के माध्यम से इस मुद्दे को उठाने की अनुमति दी। अगर इसे 30 जून से आगे बढ़ाया जाता है तो उन्हें मुद्दे को उठाने की स्वतंत्रता दी गई है।
न्यायमूर्ति ललित ने पारिख से कहा, अगर 30 जून को आदेश वापस नहीं लिया जाता है तो आप हमारे पास लौटकर आ सकते हैं। फिलहाल हम आदेश पर रोक नहीं लगा रहे हैं।
शीर्ष अदालत ने नोटिस जारी करने के बाद इस मामले की आगे की सुनवाई का समय जुलाई के तीसरे सप्ताह में होना तय किया है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि पीसीपीएनडीटी एक्ट में छूट से लिंग निर्धारण के लिए टेस्ट के मामले बढ़ेंगे।
याचिका में दलील दी गई कि लिंग परीक्षण परीक्षणों का स्वतंत्र रूप से संचालन करने के लिए अधिसूचना का दुरुपयोग किया जा सकता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने हालांकि दलील दी है कि अधिसूचना से किसी भी रूप में कानूनी प्रक्रिया प्रभावित नहीं हो रही है और लिंग निर्धारण अभी भी पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
-आईएएनएस

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