ब्रिटेन में सिख, अन्य अल्पसंख्यक समुदायों व अश्वेतों पर खराब कोविड परीक्षण की मार

लंदन, 15 जून (आईएएनएस)। लॉकडाउन के दौरान लोगों द्वारा अपने जीवन की गति को रोक देने और दोस्तों व परिवार से दूर होने के बावजूद, युनाइटेड किंग्डम हमारे समय के सबसे खराब संकट में से एक का सामना कर रहा है।

नेश्नल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) और सामाजिक देखभाल कार्यकर्ताओं द्वारा असाधारण प्रयास किए जाने के बावजूद आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि कोविड-19 से लगभग 40,000 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। कुछ का मानना है कि यह आधिकारिक संख्या महीने के अंत तक 50,000 के करीब पहुंच सकती है।
यूके में 4,500 से अधिक सिख सामाजिक कार्यकर्ताओं के समूह द सिख नेटवर्क द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक, ब्रिटेन में सिख और अन्य अल्पसंख्यक व अश्वेत समुदाय (बीएएमई-ब्लैक एंड अदर माइनारिटी कम्युनिटी) कोरोना वायरस से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। सर्वे में सभी उत्तरदाताओं में से 96 प्रतिशत ने कहा कि वे कोविड-19 से सिखों की मृत्यु के उच्च अनुपात को लेकर बहुत चिंतित हैं। द सिख नेटवर्क द्वारा स्थानीय गुरुद्वारों और सिख अंतिम संस्कार स्थल निदेशकों से एकत्र किए गए अन्य आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च 2020 में पहली कोविड-19 मौत के बाद से सिखों की कुल मौत दोगुना से अधिक हो गई है। यह राष्ट्रीय औसत से लगभग दोगुना है।
ब्रिटेन के पहले पगड़ीधारी सिख सांसद तनमनजीत सिंह धेसी ने कहा, मेरे परिवार के तीन सदस्यों की मौत कोविड-19 से हुई है। मैं बीएएमई सदस्यों की मृत्यु की बहुत अधिक संख्या और कोविड से सिखों की मौत पर किसी भी आधिकारिक आंकड़े के पूर्ण अभाव को लेकर बेहद चिंतित हूं।
एनएचएस और सामाजिक देखभाल क्षेत्र ने बीएएमई मौतों का उच्च अनुपात देखा है। सर्वे के दौरान एनएचएस में काम करने वालों में से 93 प्रतिशत ने इस बात की पुष्टि की कि कोविड-19 वाडरें में काम करने के लिए अल्पसंख्यकों व अश्वेत कर्मचारियों को जान बूझकर चुना जा रहा है।
वेस्ट मिडलैंड्स इलाके से ताल्लुक रखने वाली एक युवा नर्स ने कहा, एनएचएस में काम करने वाले लोग एनएचएस में बीएएमई सदस्यों की मृत्यु के उच्च अनुपात पर आश्चर्यचकित नहीं हुए। मेरे अस्पताल में बीएएमई स्टाफ, विशेष रूप से जूनियर बीएएमई कर्मचारियों पर अन्य लोगों के मुकाबले कोविड वार्ड में काम करने के लिए दबाव डाला गया और उन्हें निशाना बनाया गया है। इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए थी।
एनएचएस कर्मचारियों और सामाजिक देखभाल क्षेत्र के 88 फीसदी लोगों ने सर्वे में कहा कि वे यूके की कोविड परीक्षण रणनीति से बहुत नाखुश हैं। परीक्षण में देरी हुई, फिर जांच की रिपोर्ट में काफी समय लगाया गया और डेटा को बिना किसी नतीजे के जारी किया गया।
सोशल केयर होम में काम करने वाली एक महिला ने कहा, परीक्षण बदतरीन हालत में हैं। महामारी के इतने दिन बाद भी सभी एनएचएस व सोशल केयर स्टाफ के परीक्षण की क्षमता को हासिल नहीं कर पाने का कोई बहाना नहीं हो सकता। मैं कोविड के खिलाफ पहले दिन से फ्रंटलाइन पर रहकर काम कर रही हूं लेकिन आज तक मेरा कोविड टेस्ट नहीं कराया गया है।
सर्वे में 94 फीसदी लोगों ने कहा कि ब्रिटेन ने कोरोना परीक्षण की दिशा में पर्याप्त काम नहीं किया है।
-आईएएनएस

अन्य समाचार