कोरोनावायरस के रूप बदलने (म्यूटेट) की दर धीमी हो गई है इसलिए अब अधिक बेहतर वैक्सीन तैयार की जा सकती है. अब तक कोरोना के 24 रूप (स्ट्रेंन) सामने आ चुके हैं.
दुनिया के कई विशेषज्ञों का बोलना है किअगर इस समय वैक्सीन तैयार हो गई तो इसकाएक डोज कई वर्षों तक इंसानों को संक्रमण से बचाएगा
जॉनहॉपकिंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दुनियाभर से 20 हजार से अधिक कोरोनासैम्पलों का अध्ययन किया है. इस स्टडी मेंपाया कि इस वायरस के सबसे बड़े हथियार समझे जाने वालेस्पाइक प्रोटीन में परिवर्तन नहीं हो रहा है.
वैक्सीन तैयार करने का सबसे बेहतर समय जॉनहॉपकिंस अप्लायड फिजिक्स प्रयोगशाला के मॉलिक्युलर बायोलॉजिस्ट डाक्टर पीटर थीलेन के मुताबिक, 2019 के अंत से लेकर अब कोरोनावायरस में कुछ जेनेटिक परिवर्तन हुए हैं. अब वह लगभग स्टेबल है व यह समय वैक्सीन तैयार करने के लिए परफेक्ट है. इस समय कोरोना के आरएनए बेहतर ढंग से समझा जा सकता है.
दोनों तरह के वायरस के लिए असरदार होगी वैक्सीन डाक्टर पीटर के मुताबिक, अमेरिकी में कोरोना का जो स्ट्रेन पहचाना गया था, वह वुहान में संक्रमण फैलाने वाले वायरस से मिलता जुलता था. इस समय तैयार हुई वैक्सीन शुरुआतीकोरोनावायरस व म्यूटेशन के बाद वाले कोरोना, दोनों पर असरदार साबित होगी.
बिना वैक्सीन सामान्य ज़िंदगी सम्भव नहीं बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विशेषज्ञ डाक्टर विंसटन टिम्प के मुताबिक, बिना वैक्सीन के सामान्य ज़िंदगी में लौटना सम्भव नहीं है. वायरस के बदलने की धीमी गति का मतलब है, इस समय पास वैक्सीन तैयार होने की सम्भावना ज्यादा है.
वायरस के प्रोटीन में नहीं हो रहा बदलाव डाक्टर विंसटन कहते हैं, रिसर्च में सबसे ज्यादा फोकस कोरोना के उस स्पाइक प्रोटीन पर किया जा रहा है जो इंसानी कोशिकाओं में संक्रमण की वजह बनता है. यही सबसे अहम है. अगर वैक्सीन वायरस की इसी खूबी को ब्लॉक करने में सफल हो जाती है तो वह बेहद असरदार साबित होगी.