सर्दी-जुकाम या बुखार में बिना चिकित्सक की सलाह के एंटीबायोटिक्स लेने की आदत स्वास्थ्य के लिए कई दिक्कतें पैदा कर सकती है. ब्रिटेन में हुए एक शोध के अनुसार बार-बार एंटीबायोटिक्स लेने से पेट में उपस्थित बेकार बैक्टीरिया के साथ
अच्छे बैक्टीरिया भी मर जाते हैं. जिससे बैक्टीरियल सिस्टम बिगड़ जाता है. ऐसे में पैंक्रियाज की कार्यप्रणाली बिगड़ने के कारण टाइप-टू डायबिटीज का खतरा भी बढ़ जाता है.
ऐसे में नहीं करती असर- बार-बार एंटीबायोटिक्स के प्रयोग से शरीर में इनके प्रति रेसिस्टेंस बढ़ने लगता है. जिस वजह से कुछ समय बाद मौसमी बीमारियों में ली जाने वाली एंटीबायोटिक्स दवाएं न के बराबर प्रभाव करती हैं. ऐसे में मरीज हाई डोज वाली एंटीबायोटिक्स का आदी होने लगता है जो गंभीर रोगों को जन्म देती हैं.
ये हैं साइड इफेक्ट्स - इन दवाओं के लिए नियमित डोज व कोर्स होता है. ठीक ढंग से एंटीबायोटिक्स न लेने पर साइड इफेक्ट होने कि सम्भावना है. इसमें स्टेफन जॉनसन सिंड्रोम बेहद आम है. इस सिंड्रोम में मुंह में छाले व चेहरे और छाती पर दाने निकल आते हैं. यह जानलेवा भी होने कि सम्भावना है.
वायरल में असरदार नहीं एंटीबायोटिक्स - वायरल फीवर में अधिकांश मरीज बिना किसी डॉक्टरी सलाह के एंटीबायोटिक्स ले लेते हैं. जो प्रभाव नहीं दिखाती है. एंटीबायोटिक्स से बैक्टीरिया मरते हैं जबकि वायरल फीवर वायरस के कारण होता है. ऐसे में एंटीबायोटिक्स खाने से शरीर को नुकसान होता है.
5-6 दिन में अच्छा होता है वायरल- वायरल फीवर, सर्दी-जुखाम होने पर एक निश्चित समय के बाद ही अच्छा होता है. इसमें 5-7 दिन लगते हैं. इसमें एंटीबायोटिक्स दवाएं नहीं लेनी चाहिए. केवल फीवर या सर्दी की दवा लें. निर्धारित समय में अपने से अच्छा हो जाएगा. इसी तरह से डायरिया-दस्त में या बाहर खाना खाने के बाद भी एंटीबायोटिक्स न खाएं. इसे लेने से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें.