कोरोना संक्रमण (corona pandemic) के इस दौर में घर पर रहते हुए कार्य करना व जिमिंग एवं योगा जैसी एक्टिविटीज को घर पर करने में ही सुरक्षित माना जा रहा है. ऐसे में विशेषज्ञ स्क्वाट (sqwat) करने की सलाह दे रहे हैं.
लेकिन आपके दिमाग में भी स्क्वाट की छवि एक वेटलिफ्टर की है तो आप गलत हैं. स्क्वाट दरअसल एक मुकम्मल अभ्यास है जो हमारे पैरों, ग्लूटेस मसल्स व कोर को मजबूत करके हमें ज़िंदगी भर गतिशील व फिटनेस को बनाए रखने में मदद करते हैं. तो आइए जानते हैं कि फिलहीाल व कोरोना काल के बाद भी हमें जरूरी रूप से स्क्वाट क्यों करना चाहिए व इसकी आरंभ कैसे करनी चाहिए.
एक से अधिक मसल्स को फायदा स्क्वाट्स एक कम्पाउंड अभ्यास है जिसमें हमारे शरीर की एक से अधिक मांसपेशी कार्य करती हैं. सामान्य सेटों में ही इस अभ्यास को करने से अच्छी खासी कैलोरी बर्न की जा सकती है. इतना ही नहीं इसे करते समय हम जो पॉवर जनरेट करते हैं वह हमें बाहर भी भागदौड़ व स्टेमिना से भरी अन्य गतिविधियों में आगे रखती है. स्क्वाट्स रनिंग, साइकलिंग, हाइकिंग व रोइंग जैसी गतिविधियों के लिए उत्कृष्ट क्रॉस-ट्रेनिंग का कार्य करता है. स्क्वाट्स हड्डी व मांसपेशियों को होने वाले नुकसान को भी रोकते हैं जिससे फॉल व फ्रैक्चर हो सकते हैं. रोग नियंत्रण व रोकथाम केंद्रों (CDC) के अनुसार 65 या इससे ज्यादा की आयु के लोगों में अक्सर गिरने व चोट से संबंधित मृत्यु का प्रमुख कारण फॉल व फ्रैक्चर हो सकते हैं. फॉल्स में अक्सर टूटी हुई हड्डियों केकारण ज़िंदगी ठहर सा जाता है. एक अनुमान के मुताबिक 43.9 प्रतिशत बुजुर्गों में हड्डियों की डेन्सिटी कम होती है व अन्य 10.3 प्रतिशत में ऑस्टियोपोरोसिस होता है. सर्जन जनरल ने ऑस्टियोपोरोसिस नाम दिया है जिसका शाब्दिक अर्थ है 'छिद्रपूर्ण हड्डी' जो बुजुर्गों में हड्डी के फ्रैक्चर के सबसे प्रमुख कारणों में से एक है.
स्थिर बने रहने में करते मदद स्क्वैट्स हमें अधिक स्थिर बनाते हैं. अटलांटा स्थित नर्स प्रैक्टिशनर व प्रमाणित व्यक्तिगत ट्रेनर क्रिस्टीन ओजा कहती हैं कि इससे आप अपने कोर, अपने कूल्हों व क्वाड्स को जितना अधिक मजबूत बना सकते हैं उतना अन्य किसी अभ्यास से नहीं. जितना मजबूत आपका इनर कोर होगा आप अपने पैरों पर उतने ही अधिक स्थिर रहेंगे. कूल्हों, घुटनों, टखनों, ग्लूट्स,द क्वाड्स व कोर का स्क्वैट्स में उपयोग किकया जाता है. इससे हमारी कार्यात्मक फिटनेस बढ़ती है व हम बिना थके घंटो कार्य करसकते हैं. इससे शरीर के निचले हिस्से को भी मजबूत करने में मदद मिलती है खासकर पिंडतिलयों की मसल्स व पांवों की शेप को. क्योंकि हमारी दैनिक गतिविधियोंमें पांवों का सबसे ज्यादा प्रयोग होता है फिर चाहे वो खडे रहने में हो या चलने-फिरने में, स्क्वैट्स से दैनिक ज़िंदगी की गतिविधियों को करना सरल व सुरक्षित हो जाता है. नियमित रूप से स्क्वैट्स का एक्सरसाइज करने से हमारा पैल्विक फ्लोर एरिया भी मजबूत होता है जिससे मूत्र संबंधी परेशानियों व मूत्र आवृत्ति में मदद मिलती है.
इन बातों का रखें ध्यान स्क्वैट्स करने के लिए एक दिनचर्या का बनाना बेहद महत्वपूर्ण है. 30 सेकंड्स के सरल टाइमिंग केसाथ आरंभ करें व धीरे-धीरेसमय बढ़ाते जाएं. अगर आप अपनी क्षूमता के अनुसार आराम से 30 सेकंड के 10 से 12 सेट कर सकते हैं तो अच्छा अन्यथा सेटों की संख्या कम कर इसे रिपीट करें. अगर वेट के साथ स्क्वैट्स करने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं तो वेट के बिना स्क्वाट कर सकते हैं. सेट्स के बीच में 15 से 30 सेकंड के आराम के साथ 12 से 25 रिपीटेशन के चार सेट तक बनाने की प्रयास करें. एक बार जब आप आराम से 30 सेकंड में 12 से अधिक स्टैंड-टू-स्टैंड कर सकते हैं, तो आप अपने स्क्वाट में वजन जोड़ सकते हैं. ओजा एक हफ्ते में तीन से पांच बार स्क्वाट करने की सलाह देते हैं. केवल शरीर के वजन का उपयोग करने वालों के लिए, हफ्ते में पांच बार उचित है. लेकिन अगर आप भारी वजन उठा रहे हैं तो ओजा कहती हैं कि सत्रों के बीच अच्छा होने के लिए आपकी मांसपेशियों को 48 घंटे की जरूरत होती है.