नई दिल्ली, 12 जून, (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा द्वारा उपाध्यक्ष सुधांशु मित्तल के खिलाफ दिए गए आदेश पर रोक लगा दी है। बत्रा ने 19 मई को मित्तल को एथिक्स अधिकारी के पद से हटाने का आदेश दिया था जिस पर न्यायाधीश सी. हरिशंकर ने अंतरिम रोक लगा दी है।
इस आशय की प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है, मित्तल को शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से राहत मिली है। उन्होंने वकील अंकुर चावला और वकील जयन महान के माध्यम से कोर्ट का रुख किया था। याचिका में कहा गया था कि 19 मई को आईओए अध्यक्ष द्वारा उन्हें एथिक्स अधिकारी के पद से हटाए जाने का आदेश एकपक्षीय, अनुचित और बिना अधिकार का है।
बयान में आगे कहा गया है, याचिका में साथ ही कहा गया कि याचिकाकर्ता के अलावा दो अन्य लोगों जो उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश तथा सीनियर सिविल सर्वेंट हैं, को भी 19.05.2020 को इसी तरह का नोटिस दिया गया है। यह नोटिस एकतरफा, गैरकानूनी और न मानने योग्य है।
बयान के मुताबिक, याचिकाकर्ता भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) एथिक्स कमीशन के सदस्य हैं और संघ की जनरल बॉडी ने उन्हें अपना उपाध्यक्ष चुना था।
वहीं, बत्रा ने एक बार फिर उपाध्यक्ष सुधांशु मित्तल द्वारा लगाए गए आरोपों को गलत बताया है और कहा है कि मित्तल सिर्फ उनकी छवि खराब करना चाहते हैं ताकि वह 2021 में होने वाले आईओए अध्यक्ष पद के लिए अपने आप को सबसे उपयुक्त उम्मीदवार के तौर पर पेश कर सकें।
मित्तल ने आरोप लगाते हुए कहा था कि दिसंबर 2017 में आईओए अध्यक्ष के लिए हुए चुनावों में नियमों का घोर उल्लंघन किया गया था जिसमें बत्रा अध्यक्ष चुने गए थे। उन्होंने साथ ही कहा था कि बत्रा आईओए और अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के योग्य नहीं थे।
बत्रा ने एफआईएच के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) थिएरी वेल को लिखे पत्र में इस पूरे मामले पर अपनी बात रखी है और कहा है कि मित्तल ने साफ संकेत दे दिया है कि वह अगला आईओए अध्यक्ष चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं।
-आईएएनएस