नई दिल्ली, 10 जून (आईएएनएस)। कोविड-19 महामारी और उसके बाद के राष्ट्रव्यापी बंद ने सही मायने में बैंकिंग प्रणाली को लेकर लोगों की वरीयता का परीक्षण किया है, जो अच्छी सेवा और बेहतर रिटर्न के साथ उनकी बचत के लिए सुरक्षा प्रदान करती है।आईएएनएस सी-वोटर इकोनॉमिक बैटरी वेव सर्वेक्षण से पता चलता है अधिकांश खाताधारक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) पर कहीं अधिक विश्वास जता रहे हैं। उन्हें लगता है कि निजी क्षेत्र के बैंकों की तुलना में उनकी गाढ़ी कमाई वहां अधिक सुरक्षित है।
सर्वे से पता चला है कि निजी बैंकों पर लोगों का भरोसा कम हुआ है। इस सर्वे में विभिन्न उम्र और आय वर्ग के खाताधारकों से लेकर ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रहने वाले खाताधारकों से बातचीत की गई और निष्कर्ष यह निकला कि अधिकतर लोग निजी बैंकों पर ज्यादा भरोसा करते नहीं दिख रहे हैं।
खास बात यह है कि लोगों ने निजी बैंकों की तुलना में सहकारी बैंकों पर अधिक विश्वास जताया है। यह सर्वे विभिन्न पृष्ठभूमि के 1,200 लोगों से बातचीत पर आधारित है।
सर्वे में पाया गया कि 60 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 12.7 प्रतिशत लोग, जो वर्तमान में निजी बैंकों में खाते रखते हैं, अपने खातों को स्थानांतरित करना चाहते हैं, जिनमें से 12 प्रतिशत सहकारी बैंकों में स्थानांतरित करना चाहते हैं और शेष 0.7 प्रतिशत सार्वजनिक बैंकों में स्थानांतरित करने के इच्छुक हैं।
इसके अलावा 45 से 60 वर्ष के बीच के मध्यम आयु वर्ग के लोगों में से 5.1 प्रतिशत लोग निजी बैंकों में अपना खाता बंद करना चाहते हैं। इन 5.1 प्रतिशत में से 3.8 प्रतिशत सरकारी बैंक में जाना चाहते हैं और बाकी 1.3 प्रतिशत सहकारी बैंक में खाता खोलना चाहते हैं।
इसी तरह 25 वर्ष से कम और 25 से 45 आयु वर्ग के लोगों की भी निजी बैंकों से बाहर अपना खाता पीएसबी या सहकारी बैंकों में स्थानांतरित करने की योजना है।
वहीं शहरी क्षेत्रों में 7.5 प्रतिशत खाताधारक निजी क्षेत्र के बैंकों से हटना चाहते हैं। सर्वेक्षण से पता चलता है कि उनमें से लगभग समान संख्या में लोग पीएसबी या सहकारी बैंक में खाता खुलवाना चाहते हैं।
अर्ध-शहरी क्षेत्रों में अधिकतर लोग अपने खातों को सहकारी बैंकों में स्थानांतरित करना चाहते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में वे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में खाता खुलवाना चाहते हैं।
राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान किए गए सर्वेक्षण से पता चला है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की तुलना में निजी बैंकों के लिए लोगों में विश्वास बहुत कम है।
-आईएएनएस