प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को कई तरह के मेडिकल परीक्षण करवाने पड़ते हैं। इनमें से एक कोरियोनिक विलस सैंपलिंग (सीवीएस) परीक्षण भी होता है। सीवीएस एक प्रीनटल टेस्टिंग मेथड (प्रसव के पूर्व किया जानें वाला टेस्ट) है, जिसमें विशेष तकनीक के द्वारा प्लेसेंटा से (कोशिकाओं का)सैम्पल लिया जाता है। इस विधि का इस्तेमाल इस बात को निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि होने वाले बच्चे को क्रोमोसोमल एब्नॉर्मेलिटीज या आनुवांशिक दोष होने का रिस्क तो नहीं है।
कब किया जाता है कोरियोनिक विलस सैम्पलिंग टेस्ट?
इस टेस्ट को करने का सबसे आदर्श समय प्रेग्नेंसी के पहले ट्राइमिस्टर का 11वां या 14वां हफ्ता होता है। इस दौरान बच्चे की ग्रोथ स्पष्ट दिखने लगती है और प्लेसेंटा भी डिफाइन हो जाता है जिससे परीक्षण करना ज्यादा सेफ होता है। प्रेग्नेंसी के 11 हफ्ते से पहले सीवीएस टेस्ट कराने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि ऐसा करने से भ्रूण के अंगों में दोष आ सकता है। कुछ विशेष मामलों में सीवीएस परीक्षण या प्लेसेंटा बायोप्सी प्रेग्नेंसी के बाद के चरणों में की जाती है। इस दौरान टेस्ट करने पर शिशु में आनुवांशिक स्थितियों के बारे में पता लगाना ज्यादा आसान हो जाता है।
सीवीएस टेस्ट कैसे किया जाता है?
कोरियोनिक विलस सैम्पलिंग टेस्ट उन प्रेग्नेंट महिलाओं को कराने की सलाह दी जाती है जिनके बच्चे में क्रोमोजोमल या आनुवांशिक दोष होने का ज्यादा रिस्क होता है। इस टेस्ट में प्लेसेंटा से सेल्स निकाल कर उन पर परीक्षण होता है। प्लेसेंटा मां और शिशु को जोड़ कर रखता है, यह ब्लड से भरा एक चैनल है, जिसके माध्यम से जरूरी पोषक तत्वों और ऑक्सीजन को स्थानांतरित किया जाता है। प्लेसेंटा में भ्रूण और मां दोनों के सेल्स मौजूद होते हैं।
सीवीएस टेस्ट की प्रक्रिया क्या है?
प्रेग्नेंसी के प्रारंभिक दौर में भ्रूण खुद ही दो भागों में विभाजित हो जाता है। भ्रूण का एक हिस्सा प्लेसेंटा बन जाता है और दूसरा शिशु बन जाता है। प्लेसेंटा कई भागों में विकसित होता है, जिसे कोरियोनिक विली कहा जाता है। ये कोरियोनिक विली मां की रक्त वाहिकाओं के करीब वोम्ब (गर्भ) की दीवारों में अपना रास्ता बनाते हैं। भ्रूण से निर्मित इन विली में भी उसी के समान डीएनए होता है। भ्रूण जैसा ही डीएनए होने के कारण सीवीएस परीक्षण विली द्वारा भी हो सकता है। (प्रेग्नेंसी में महिलाओं का वजन)
इन स्थितियों में बच्चे में वंशानुगत हेल्थ प्रॉब्लम्स होने का जोखिम होता है-
इन निम्नलिखित स्थितियों में बच्चे में वंशानुगत हेल्थ प्रॉब्लम्स पाई जा सकती हैं:
'शिशु को जोखिम है' यदि ऐसे परिणाम आते हैं तो क्या करें ?
यदि टेस्ट के परिणाम घोषित करते हैं कि शिशु में आनुवांशिक या क्रोमोसोमल असामान्यताएं हैं तो आपको डॉक्टर बताएगा कि यह परिणाम आपके और आपके होने वाले बच्चे के लिए क्या मायने रखते हैं। कुछ मामलों में, डॉक्टर आपकी इस बात को तय करने में सहायता करते हैं कि आप प्रेग्नेंसी को जारी रखना चाहती हैं या नहीं। ऐसी स्थिति में आपको सही परामर्श देने के लिए पेशेवर कॉउंसलर्स भी आपको उपलब्ध कराए जाएंगे। (प्रेग्नेंसी फिटनेस टिप्स )
कोरियोनिक विलस सैंपलिंग टैस्ट करवाना हमेशा ही एक प्रेग्नेंट महिला के लिए सही निर्णय रहता है। इस टेस्ट द्वारा होने वाले पेरेंट्स अपनी बच्चे की आनुवांशिक स्थिति को जान पाते हैं और आगे की परिस्थितियों के लिए खुद को तैयार कर पाते हैं। यह बच्चे की सेफ्टी और माता-पिता के मन की शांति के लिए बहुत ही जरूरी होता है।