आपके शरीर में अगर कोरोना के लक्षण दिख रहे हैं तो कफ सिरप का प्रयोग न करना बेहतर होगा. एक ताजा अध्ययन में सामने आया है कि सर्दी-खांसी की दवा के उत्पादन में प्रयोग होने वाला एक सामान्य घटक कोरोना वायरस की संख्या बढ़ा सकता है. अध्ययनकर्ताओं ने बेनिलिन व नाइट नर्स जैसी दवाओं को लेने से पहले एक बार चिकित्सक से परामर्श लेने की सलाह दी है.
यह अध्ययन वैज्ञानिकों की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम द्वारा किए जा रहे वैश्विक अध्ययन का एक भाग है. वैश्विक अध्ययन में वैज्ञानिक यह पता लगा रहे हैं कि कोविड-19 के उपचार में पहले से उपस्थित दवाओं का किस तरह उपयोग किया जा सकता है. इस अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों की टीम ने पाया कि खांसी को दबाने में प्रभावी घटक डेक्सट्रोमेथोरफान से कोरोना वायरस की संख्या बढ़ सकती है. शोधकर्ताओं ने इस घटक वाले कफ सिरप का उपयोग करने को लेकर चेतावनी दी है. साथ ही उनका मानना है कि कोरोना मरीज की खांसी अच्छा करने में डेक्सट्रोमेथोरफान घटक वाले कफ सिरप दिए जाने से पहले इस विषय में ज्यादा अनुसंधान करने की जरूरत है. वैज्ञानिकों ने यह अध्ययन अफ्रीकी हरे बंदर की प्रजाति पर किया जो दवा की रिएक्शन के मुद्दे में इंसानों जैसे हैं.
क्या है डेक्सट्रोमेथोरफान पेरिस के पाश्चर इंस्टीट्यूट के 22 वैज्ञानिकों की टीम के अनुसार डेक्सट्रोमेथोरफान दवा को सर्दी-खांसी के सिरप और दवा बनाते समय इस्तेमाल किया जाता है ताकि खांसी संकेतों को मस्तिष्क में ही स्थिर किया जा सके व मरीज को खांसी में राहत महसूस हो.
खांसी की हर दवा में होता है प्रयोग नेचर जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार चूंकि डेक्सट्रोमेथोरफान मेडिकेशन का उपयोग खांसी की लगभग सभी दवाओं में होता है, इसलिए बहुत आसार है कि संक्रमित आदमी भी अपनी खांसी अच्छा करने के लिए इसका उपयोग करे जो कि खतरनाक होने कि सम्भावना है. इसके अतिरिक्त कोरोना संक्रमण के मुख्य लक्षणों में खांसी आना प्रमुख है, अगर कोई आदमी डेक्सट्रोमेथोरफान वाले सिरप का प्रयोग करेगा तो खांसी दब जाएगी जिससे उसमें संक्रमण का पता लगाने में देरी होगी.