मधेपुरा। खाना और पानी की समस्या को लेकर बुधवार को मेडिकल कॉलेज में कोरोना मरीज धरना पर बैठ गए। कोरोना संक्रमित मरीज आइसोलेशन वार्ड से निकलकर अधीक्षक कार्यालय के सामने आकर दिया। मरीजों के इस तरह निकल कर आ जाने से मेडिकल कॉलेज में हड़कंप मच गया। दिन में करीब 12 बजे के आसपास चौसा से लाए गए गए 18 संक्रमित आइसोलेशन वार्ड से निकल गए। कोरोना पॉजिटिव मरीज जहां धरना पर बैठे उसके अगल-बगल के कार्यालयों को भीतर से बंद कर दिया गया। कई लोगों ने समझाने का प्रयास किया, लेकिन वो वरीय अधिकारियों के आने तक धरना से नहीं हटने की मांग पर अडिग रहे। तकरीबन ढाई घंटे बाद एसडीओ बृंदालाल वहां गए और मरीजों से बात कर उन्हें खाना और पानी मिलने का आश्वासन दिया। इसके बाद सभी मरीज पुन: आइसोलेशन वार्ड में गए।
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उद्घाटन के समय से अपनी उपयोगिता साबित करने में नाकाम रही मधेपुरा मेडिकल कॉलेज में कोरोना संक्रमित मरीजों को पानी और खाना भी नहीं दिया जा रहा है। मरीजों ने बताया कि यहां खाना कर साथ पीने की पानी समय पर नही मिलती है। सर्वाधिक परेशानी पीने के पानी को लेकर थी। मरीजों ने बताया कि जिस दिन से मेडिकल कॉलेज लाया गया है उसी दिन से पानी की समस्या बनी हुई है। कई बार तो ऐसा हुआ कि बाथरूम का गंदा पानी पीना पड़ा। आइसोलेशन वार्ड में भर्ती एक मरीज ने बताया कि 31 मई को यहां लाया गया है। उसी दिन से पीने की पानी का संकट बना हुआ है। 31 मई की रात को यहां लाए जाने के बाद अगले 12 घंटे तक पानी नही दी गयी। कई बार ऐसी पानी दी गयी जो पीने लायक नहीं थी। इसे लेकर लगातार सभी अधिकारी को फोन कर अवगत भी कराते रहे। यहां तक कि पटना कंट्रोल रूम भी फोन किए। वहां से मधेपुरा कंट्रोल रूम का नंबर दिया गया। जब सभी तरफ से हार गए तब आइसोलेशन वार्ड से बाहर निकलकर धरना पर बैठना पड़ा। वार्ड की नही की जाती सफाई आइसोलेशन वार्ड की सफाई नहीं किए जाने की भी शिकायत मरीजों ने की। मरीजों ने बताया कि जिस जगह रखा गया है वहीं खाने के बाद थाली व जूठा रखवाया जाता है। उसकी कभी सफाई नही की जाती है। इसमें रूम में दुर्गंध रहता है। ऐसी स्थिति में रहना मुश्किल लगता है। मरीजों ने व्यवस्था से नाराजगी जताते हुए कहा कि दिल्ली से आने के बाद जब चौसा में रखा गया तब तक ठीक था। लेकिन मेडिकल कॉलेज आते ही परेशानी बढ़ गई। कोट मेडिकल कॉलेज में आइसोलेशन वार्ड से मरीज बाहर निकल गए थे। सभी को समझ-बुझाकर शात कराया गया। कुछ समस्या थी जिसे सुलझा लिया गया है। -बृंदालाल, एसडीओ, मधेपुरा
Posted By: Jagran
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