कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के विरूद्ध लड़ाई में अग्रिम मोर्चे पर कार्य कर रहे डॉक्टरों व नर्सों में से कई तनाव को कम करने के लिए योग, संगीत व धार्मिक किताबों का सहारा ले रहे हैं.
दिल्ली के सरकारी बाबू जगजीवन राम अस्पताल में सेवा देने वाले वरिष्ठ चिकित्सक वी के वर्मा अपने दिन की आरंभ प्रणायाम से करते हैं व इसके साथ ही वह योग के कई दूसरे आसन भी करते हैं व फिर कार्य पर जाते हैं.वहीं मैक्स अस्पताल की नर्स डॉली मस्से का बोलना है कि इस संक्रमण से पैदा हुए 'तूफान' में शांति तलाशने के लिए वह बाइबल का सहारा लेती हैं. उनका बोलना है कि वह अपने थैले में हर समय इस धार्मिक किताब को रखती हैं, यहां तक कि उनके मोबाइल फोन में भी ई-बाइबल है. यह किताब उन्हें शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत बने रहने में मदद करता है.उन्होंने बोला कि कोरोना वायरस संक्रमण के शुरुआती दौर में वह बिल्कुल भी नहीं डरीं व जब बंद के दौरान मुद्दे बढ़ने प्रारम्भ हुए तब भी उन्हें भय नहीं लगा लेकिन 27 वर्षीय नर्स का बोलना है कि अब उन्हें थोड़ा सा भय लगने लगा है कि वह भी संक्रमित हो सकती हैं.एलएनजेपी अस्पताल की सीनियर डाक्टर कुमुद भारती ने बोला कि स्वास्थ्य कर्मियों के संक्रमित होने का बहुत ज्यादा खतरा है क्योंकि वह इस लड़ाई में अग्रिम मोर्चे पर हैं. उन्होंने बोला कि चिकित्सक बचाव के लिए पीपीई किट, दस्ताने व अन्य चीजों का प्रयोग कर रहे हैं.भारती ने बोला कि डॉक्टरों को पता है कि इन्सानियत की सेवा करना उनका कर्तव्य है लेकिन आखिर में चिकित्सक भी तो इंसान ही हैं. फॉर्टिस अस्पताल के चिकित्सक विकास मौर्य ने बोला कि ज्यादा संख्या में पीपीई किट होने से उनकी चिंता कम हुई है. उनका बोलना है कि वह छह-छह घंटे तक लगातार पीपीई सूट पहने रहते हैं इसलिए उनकी स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है. वह इस स्थिति में भी खुद को शांत रखने के लिए वह टीवी पर आनेवाले कार्यक्रमों को देखते हैं. किताब पढ़ते हैं व संगीत सुनते हैं.