वर्तमान समय में भारत में लाखों गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों को कोरोनो वायरस महामारी के कारण देश के टीकाकरण कार्यक्रम के बाद भी कई संक्रामक रोगों के जोखिम का सामना करना पड़ रहा है। देशभर के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य केंद्रों ने दो कारणों से बड़े पैमाने पर गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण रोक दिया है।
एक तो केंद्रों पर जाने के दौरान कोरोनो वायरस का खतरा है और दूसरा यह है कि आंगनवाड़ियों में स्वास्थ्यकर्मी इस महामारी के कारण ड्यूटी पर व्यस्त हैं।
गर्भवती स्त्रियों के टीकाकरण को जरूरी माना जाता है, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान होने वाले कुछ प्रकार के संक्रमण से मां और बच्चे की रक्षा का यह एक सरल और प्रभावी तरीका है। भारत में गर्भवती महिला को टिटनस टॉक्सोइड (टीटी) की दो खुराक दी जाती है।
डॉ. मेधावी अग्रवाल का कहना है कि इन टीकों को टीटी-1 एवं टीटी-2 कहा जाता है। इन दोनों टीकों के बीच 4 सप्ताह का अंतर रखना जरूरी है। यदि गर्भवती महिला पिछले 3 वर्ष में टीटी के 2 टीके लगवा चुकी हैं तो उन्हें इस गर्भावस्था के दौरान केवल बूस्टर टीटी का टीका ही लगवाना शेष है।
जानकारी के अनुसार टीटी वैक्सीन सभी गर्भवती महिलाओं को दिए जाने से उनका व उनके बच्चे का टिटनेस रोग से बचाव होता है। टिटनेस नवजात शिशुओं के लिए एक जानलेवा रोग है। इससे उन्हें जकड़न, मांसपेशियों में गंभीर ऐंठन हो जाती है।
कभी-कभी पसलियों में जकड़न के कारण शिशु सांस नहीं ले पाते हैं और इसी कारण उनकी मुत्यु भी हो जाती है। देशभर के सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी फिलहाल कोरोना वायरस ड्यूटी में व्यस्त हैं जिनका प्राथमिक कर्तव्य गर्भवती महिलाओं, प्रसवोत्तर महिलाओं और नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य को मॉनिटर करना है।
हालांकि, विशेषज्ञों के मुताबिक 15-20 दिनों की थोड़ी देरी से स्वास्थ्य संबंधी कोई बड़ी समस्या नहीं हो सकती है, लेकिन इससे गर्भवती महिलाओं में संक्रमण का खतरा होता है।
चूंकि गर्भवती महिलाएं लॉकडाउन के कारण घर पर हैं, इसलिए संक्रमण होने की आशंका कम होती है। लेकिन घर पर और उस दौरान किसी तरह की चोट लगने पर उन्हें संक्रमण का खतरा होता है।
यही नहीं बच्चों के टीकों को लेकर भी चिंता जताई गई है। संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य संगठनों के मुताबिक दुनियाभर में 11.7 करोड़ बच्चे खसरा के जोखिम का सामना कर रहे हैं। इसका कारण यह है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच कई देशों ने टीकाकरण अभियान को सीमित कर दिया था।
विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ ने हाल ही में कहा था कि 24 देशों ने टीकाकरण का काम रोक दिया गया है और इनमें कई देश खसरा के खतरे का पहले से सामना कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार कोरोना वायरस महामारी से 13 अन्य देशों में भी टीकाकरण कार्यक्रम प्रभावित हुआ। लेकिन वैश्विक स्तर की संस्था मीजल्स एंड रूबेला इनिशिएटिव ने यह साफ कहा गया कि मौजूदा महामारी के दौरान और बाद में भी टीकाकरण के कार्यक्रम को जारी रखना चाहिए।
डॉ. अजय मोहन का कहना है कि फिलहाल कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए कोई दवा या टीकाकरण उपलब्ध नहीं हो पाया है। कोरोना के संपर्क में आने से खुद को बचाना ही इसकी रोकथाम करने का सबसे अच्छा तरीका है।