लखनऊ. लाॅकडाउन के चलते तम्बाकू गुटखा पानमसाला पर भले ही बैन लगा हो परन्तु पान पर कोई बैन नहीं है. पान भी सब्जियों की तरह एक फसल की श्रेणी में आती है और कृषक समुदाय ही इसकों उगाता है. सरकार और जिला प्रशासन सब्जियों की भाॅति इसकी भी बिक्री की उचित व्यवस्था करे. ऐसा पान दरीबा पान मण्डी के पान विके्रता व व्यपारियों का ही कहना है. वास्तव में लखनऊ के चिकन के काम के साथ यहां का पान भी पूरे देश में मशहूर है. लखनऊ में पान उन्नाव, हरदोई, कानपुर के आस-पास की तहसीलों की मण्डियों से आता है. लाॅकडाउन के चलते उन स्थानों से पान यहां पर आ नहीं पा रहा है. यदि थोड़ा बहुत आ भी गया तो बिक्री न होने से खराब हो रहा है. इसके पहले मंगाया गया पान बिक्री न हो पाने के कारण खराब हो गया था. पानदरीबा पान मण्डी के संचालक और चैरसिया समाज सेवा समिति के अध्यक्ष श्याम प्रसाद चैरसिया उर्फ मुन्ना भैया ने बताया कि इस समय पान उत्पादक और पान व्यवसायी दोनों ही भुखमरी की कगार पर आ गये है. लखनऊ में पान आस-पास के ही जिलों से आता है. इस बार भीषण ठंड ने पान की फसल को चैपट कर दिया. उसके बाद इस समय पान की फसल तैयार खड़ी है तो लाॅकडाउन के चलते किसान उसे मण्डी तक नहीं ला पा रहा है. यदि ले भी आ रहा है तो लखनऊ का जिला प्रशासन और स्थानीय नाका पुलिस मण्डी ही नहीं लगने दे रही है. प्रशासन लाॅकडाउन का बहाना बना कर पान बेचने पर पाबन्दी लगा रही है. अध्यक्ष मुन्ना भैया ने कहा कि जिस तरह सब्जियों को बेचने की अनुमति दी जा रही है वैसे ही पान भी एक फसल है और इस पर पानमसाला और गुटखा की तरह बैन भी नहीं है. मुख्यमंत्री ने पान को एक फसल मानते हुये इसके विपणन की अनुमलि भी दी हुयी है. परन्तु लखनऊ सहित अन्य जिलों के जिला प्रशासन इसकी बिक्री ही नहीं होने दे रहे है. जबकि पान मसाला, गुटखा आदि की बिक्री दुकानों पर होने लगी है. उन्होने बताया कि वे मुख्यमंत्री से माग कर हे कि सर्दी के मौसम में पान की फसल के नष्ट होने और इधर लाॅकडाउन में भी पान की फसल के हो रहे नुकसान के चलते मुख्यमंत्री को पान उत्पादकों और व्यापारियों के लिये राहत पैकेज की घोषणा करनी चाहिये. जिससे वे भूखे मरने से बच सके.