अमृतसर। (दलजीत शर्मा) वर्तमान में हमारा देश उस दहलीज पर खड़ा है जहां हम जानलेवा प्रोडक्ट्स भी तैयार कर रहे हैं और उन पर हिदायतें भी चस्पा दे रहे हैं कि इसका सेवन आपकी जान भी ले सकता है। आज पूरे विश्व में एंटी टबैको डे मनाया जा रहा है और लोगों का इसका सेवन न करने की अपील की जा रही है। अजब सी विडंबंना है टबैको प्रोड्क्स का उत्पादन बंद कर दिया जाए तो देश की अर्थव्यवस्था चरमराने लगती है। केंद्र ही नहीं राज्यों सरकारों की भी सांसे फूलने लगती हैं। ऐसे में इससे बचने के लिए एकमात्र विकल्प खुद इसान और उसका आत्मविश्वास ही है। अगर आप किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन नहीं करते हैं तो आप भाग्यशाली हैं, अगर करते हैं तो सिर्फ 96 घंटे इससे अछूता रहकर आपके शरीर से इसका असर खत्म होना शुरू हो जाता है। इसके बाद इसकी लत से छुटकारा पाना आसान हो जाता है और आपके शरीर में नव जीवन का संचार होने लगता है। यहां आपको यह बताना भी जरूरी है कि एक रैगुलर स्मॉकर को नॉन स्मॉकर की कैटागिरी में आने के लिए कम से कम 15 साल लगते हैं और इस दौरान भी मौत उसके सिर पर साये की तरह मंडराती रहती है।
एक नजर -मेडिकल साइंस के मुताबिक हमारा दिल 1 दिन में 1 लाख से भी ज्यादा बार धड़कता है। -एक साधारण व्यक्ति के फेफड़े 1 दिन में 20,000 से 30,000 बार सांस लेते हैं। -रिसर्च के मुताबिक 1 सिगरेट जलाने से लगभग 4 हजार तरह के कैमिकल्स निकलते हैं। -जिसमें 400 बहुत ज्यादा जहरीले और लगभग 43 कैंसर पैदा करने वाले होते हैं। -दिन में 8 से 10 बार गुटखा खाने का मतलब लगभग 40 सिगरेट फूंक देना है।
96 घंटे धूम्रपान छोड़ने पर क्या होगा 12 घंटे तक तंबाकू का किसी भी रूप में सेवन न करने पर शरीर का ब्लड प्रैशर, पल्स रेट और टेंपरेचर सामान्य हो जाता है। खून में निकोटीन और कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा नॉर्मल हो जाती है। मानसिक तनाव भी कम होने लगता है। 48 घंटे बीत जाने के बाद आपकी सुंघने की शक्ति में इज़ाफा होने लगता है जो स्मॉकिंग से कमजोर हो चुकी होती है। शरीर से जहरीले तत्व खत्म होने लगते हैं। शरीर में मौजूद निकोटीन के तत्व भी पूरी तरह से गायब हो जाते हैं और फेफड़ों में मौजूद कफ भी कम हो जाता है। अमृतसर के जिला टीबी अधिकारी नरेश चावला बताते हैं कि एक रिसर्च के मुताबिक 96 घंटे बीत जाने के बाद स्मॉकर चिड़चिड़ाहट पर उतर आता है। सिर में दर्द होने लगती है। यही वह क्षण होते हैं जो सिगरेट दोबारा पीने के लिए उकसाने लगते हैं। पहले ही बता चुके हैं कि इस सबसे इंसान खुद ही अपने आप को बाहर निकाल सकता है। 9 महीनों में फेफड़े काफी हद तक स्वस्थ हो जाते हैं और इंफैक्शन का खतरा भी कम हो जाता है।
5 से 15 साल तक सब ठीक सिगरेट छोड़ने के पांच साल बाद आर्टरी फिर से चौड़ी होने लगती हैं और दिल में रक्त संचार सामान्य हो जाता है। जिससे हार्ट अटैक का खतरा भी कम हो जाता है। 10 सालों के बाद सिगरेट छोड़ने के फेफड़ों के कैंसर का खतरा उन लोगों की तुलना में आधा रहा जाता है जो स्मोकिंग जारी रखते हैं। यही नहीं मुंह, गले और पैनक्रिएटिक कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है। करीब 15 साल बाद एक स्मॉकर नॉन स्मॉकर की कैटागिरी में आ जाता है। उसे प्रकृतिक के चक्कर में सामान्य बीमारियों का ही सामना करना पड़ता है।