कहीं सोराइसिस न बन जाए मधुमेह का एक बड़ा कारण

लखनऊ। बिना सोराइसिस (त्वचा रोग) वाले लोगों की तुलना में सोराइसिस से प्रभावित लोगों में टाइप-2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम ज्यादा रहता है। यह जोखिम आश्चर्यजनक रूप से रोग की गंभीरता पर निर्भर है। सोराइसिस प्रतिरक्षा प्रणाली की एक बीमारी है, जिसमें त्वचा में सूजन हो जाती है, त्वचा की कोशिकाएं सामान्य से ज्यादा तेजी से बढ़ती है। जिससे शरीर में लाल रंग के चकत्ते बन जाते हैं, जो सफेद त्वचा से ढक जाते हैं, जब यह त्वचा के सतह तक पहुंचते हैं, तो मर जाते हैं।

एक शोध में यह बात सामने आई है कि सोराइसिस से पीड़ित लोग अपने शरीर का 10 फीसदी या उससे ज्यादा हिस्सा ढके रहते हैं। इनमें से बिना सोराइसिस लोगों की तुलना में 64 फीसदी सोराइसिस वाले लोगों को मधुमेह होने की संभावना रहती है।
सोरइसिस से बचने के आसान उपाय
• सोरायसिस के लक्षण दिखने पर विशेषज्ञ चिकित्सक से सलाह लें तथा उसके बताए निर्देशों का पालन करें । • सोरायसिस के रोगियों को तनावमुक्त रहना चाहिए। क्योंकि तनाव सीधे-सीधे सोरायसिस को प्रभावित कर रोग के लक्षणों में वृद्धि करता है। • त्वचा को अधिक खुश्क होने से भी बचाएँ ताकि खुजली न हो। • सेब का सिरका सोराइसिस के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। • नहाने के पानी में सेंधा नमक मिलाकर नहाएँ। • जैतून के तेल को हल्का गुनगुना कर मालिश करें ऐसा करने से सेराइसिस ठीक हो जाएगा। • त्वचा को साफ और शुस्क बनाए रखें।

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