नई दिल्ली. कोरोना वायरस के काल में लॉकडाउन के चलते देश के विभिन्न शहरों में फंसे प्रवासी श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए शुरू की गईं श्रमिक ट्रेनें भी उनके लिए मुसीबत का सबब बन ही हैं. श्रमिक स्पेशल न सिर्फ देरी के साथ रास्ता भी भटक रही हैं. इन विशेष ट्रेनों की दशा और दिशा दोनों ही बिग़़डी दिखाई दे ही हैं.
रेलवे की चुस्ती का आलम यह है कि पश्चिम रेलवे के मुंबई स्थित वसई रोड स्टेशन से 21 मई की शाम 7.20 बजे श्रमिक स्पेशल ट्रेन गोरखपुर के लिए रवाना हुई. लेकिन यह ट्रेन गोरखपुर के बजाय 23 मई को दोपहर ओडिशा के राउरकेला होते हुए झारखंड के गिरिडीह पहुंच गई. जबकि मुंबई से गोरखपुर के सीधे मार्ग में न ओडिशा पड़ता है और न ही झारखंड. इस ट्रेन से यात्रा कर रहे विशाल सिंह कहते हैं कि ट्रेन के मार्ग में बदलाव के बारे में यात्रियों को कोई जानकारी तक नहीं दी गई. गंतव्य तक पहुंचने में चार-चार दिन का समय लग रहा है.
खानपान की व्यवस्था भी दुरस्त नहीं होने की वजह से बच्चों से लेकर ब़़डों तक को बूंद-बूंद पानी को तरसना पड़ रहा है. रेलवे के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि चलती ट्रेन का रूट बदल दिया गया और यात्रियों को उसकी सूचना तक नहीं दी गई. रूट में बदलाव के अलावा इन विशेषष ट्रेनों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में भी समान्य से बहुत ज्यादा समय लग रहा है. मध्य रेलवे के ही मुंबई के लोकमान्य तिलक टìमनस से जौनपुर के लिए 20 मई की शाम 7.30 बजे निकली विशेष ट्रेन आज, यानी 23 मई को दोपहर पौने दो बजे जौनपुर से आगे जाकर अकबरपुर में समाप्त हुई. वहां तक पहुंचने में इसे लगभग 67 घंटे लग गए. जबकि सामान्य दिनों में ट्रेनें यह दूरी 30 घंटे में पूरी कर लेती हैं.
21 मई को लोकमान्य तिलक टìमनस से ही सिद्धार्थनगर के लिए निकली एक अन्य विशेषष ट्रेन ने 23 मई को दोपहर बाद तीन बजे झांसी स्टेशन पार किया था. इस ट्रेन को मुंबई से भुसावल पहुंचने में 24 घंटे लग गए थे. जबकि सामान्य दिनों में पुष्पक एक्सप्रेस मुंबई के छत्रपति शिवाजी टìमनस से 24 घंटे में लखनऊ पहुंचा देती है. श्रमिकों की तकलीफ का आलम यह है कि किस्मत मेहरबान हो गई तो किसी स्वयंसेवी संस्था या आइआरसीटीसी की व्यवस्था में रास्ते में कुछ खाने को मिल जाता है. नहीं तो श्रमिकों के साथ चल रहे बच्चे बूंद-बूंद पानी को भी तरस रहे हैं.
पश्चिम मध्य रेलवे के सूत्रों का कहना है कि इन दिनों ट्रेनों की आवाजाही का व्यस्ततम रूट इटारसी और इसके आसपास के स्टेशन बन गए हैं. श्रमिक विशेषष ट्रेनें बिना टाइम टेबल के चल रही हैं. महाराष्ट्र ही नहीं, गुजरात से भी उत्तर प्रदेश और बिहार की ओर जानेवाली कई ट्रेनों को इटारसी होकर भेजा जा रहा है. इसके कारण इटारसी रूट का बोझ और ब़़ढ गया है. इसलिए भी इटारसी जैसे जंक्शन को जाम की स्थिति का सामना करना प़़ड रहा है. जिसके कारण कुछ ट्रेनों के रूट बदलने पडे़ हैं.