आजकल हमारे आस पास एक मुद्दा बहुत ही प्रचलित होता जा रहा है जो है चीन की चीजों से बॉयकॉट करना और स्वदेशी अपनाना और ऐसे में लोगों का सबसे पंसदीदा एप टिक टॉक की रेटिंगस पहसे से बहुत कम हो चुकी है। वहीं इसकी रेटिंग तो कम हो ही रही है लेकिन साथ ही इसके खिलाफ कई मामले भी सामने आ चुके है। जिसे देखते हुए अब इसे बैन करने की मांग की जा रही है और इससे पूरी तरह बॉयकॉट करने की मांग की जा रही है।
टिक टॉक मुद्दे पर बोले मुकेश खन्ना
अब इस मुद्दे पर बॉलीवुड एक्टर मुकेश खन्ना ने अपनी राय रखी और वे भी इसके समर्थन के लिए मैदान में उतर आए हैं। उन्होंने इस के लिए अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो भी शेयर की जिसमें उन्होंने इस एप का बायकॉट करने की मांग की।
टिक टोक टिक टोक घड़ी में सुनना सुहावना लगता है। लेकिन आज की युवा पीढ़ी का घर मोहल्ले सड़क चौराहे पर चंद पलों की फ़ेम पाने के लिए सुर बेसुर में टिक टोक करना बेहुदगी का पिटारा लगता है।कोरोना चायनीज़ वाइरस है ये सब जान चुके हैं।पर टिक टोक भी उसी बिरादरी का है ये भी जानना ज़रूरी है। टिक टोक फ़ालतू लोगों का काम है।और ये उन्हें और भी फ़ालतू बनाता चला जा रहा है।अश्लीलता, बेहुदगी, फूहड़ता घुसती चली जा रही है आज के युवाओं में इन बेक़ाबू बने विडीओज़ के माध्यम से। इसका बंद होना ज़रूरी है।ख़ुशी है मुझे कि इसे बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है।मैं इस मुहिम के साथ हूँ।
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टिक टॉक को बताया चाइनीज वायरस
सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर कर मुकेश खन्ना कहते है, 'इस ऐप पर समय बिताने के अलावा हमारी जिंदगी में बहुत कुछ है करने के लिए। मैं खुश हूं कि ये चाइनीज वायरस हमारे देश से बाहर निकल रहा है और इसकी रेटिंग 4.5 से 1.3 रह गई है। मैं खुश हूं कि आप मेरी और कई लोगों की सलाह पर टिकटॉक का बहिष्कार कर रहे हैं और इससे बड़ी खुशी की खबर और नहीं हो सकती। मैं चाहता हूं कि आप लोग चाइनीज प्रोडक्ट्स की लिस्ट में सबसे पहला नाम टिकटॉक का रखिए, इसे दूर कीजिए और आज के युवा को बिगड़ने से बचाइए।
कहा युवाओं में घुस रही अश्लीलता
मुकेश खन्ना ने वीडियो के साथ एक लंबा कैप्शन भी लिखा जिसमें वे कहते हैं, 'टिक टॉक टिक टॉक घड़ी में सुनना सुहावना लगता है लेकिन आज की युवा पीढ़ी का घर मोहल्ले सड़क चौराहे पर चंद पलों की फेम पाने के लिए सुर बेसुर में टिक टॉक करना बेहुदगी का पिटारा लगता है। उन्होंने आगे लिखा ये उन्हें और भी फालतू बनाता चला जा रहा है। अश्लीलता, बेहूदगी, फूहड़ता घुसती चली जा रही है आज के युवाओं में इन बेकाबू बने विडीयोज के माध्यम से इसका बंद होना ज़रूरी है।