क्या ये वायरस इंसानों को संक्रमित करने के लिए परफेक्ट

नया कोरोनावायरस जानवरों के मुकाबले इंसानों को तेजी से जकड़ता है, यह दावा ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में किया है. फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक,

संक्रमण को समझ के लिए अध्ययन किया गया जिसमें पाया गया कि कोरोनावायरस का 'स्पाइक प्रोटीन' इंसानों में पाए जाने वाले रिसेप्टर ACE-2 से मिलकर अधिक तेजी से कोशिका को संक्रमित करता है. पैंगोलिन व चमगादड़ के मुकाबले कोरोना इंसानी कोशिका में तेजी से प्रवेश करने में पास होता है.
एक ही प्रजाति को बार-बार संक्रमित करना आसान शोधकर्ता व वायरस विशेषज्ञ निकोलाई पैत्रोव्स्की के मुताबिक, कोरोनावायरस उस प्रजाति को सरलता से संक्रमित करता है जिससे वह सबसे ज्यादा संक्रमितकर चुका होता है. वहीं किसी नयी प्रजाति को वह सरलता से संक्रमित नहीं कर पाता. यह चौकाने वाली बात है कि यह इंसानी कोशिका को पहले भी संक्रमित कर चुका है.
'ऐसा लगता है कि यह इंसानों को संक्रमित करने के लिए परफेक्ट' वायरस विशेषज्ञ निकोलाई कहते हैं कि शायद वायरस पहले कभी इंसानी कोशिका को संक्रमित कर चुका है, होने कि सम्भावना है ऐसा प्रयोगशाला में इस्तेमाल के दौरान हुआ हो. इस वायरस की संरचना व व्यवहार को देखकर लगता है कि जैसे यह इंसानों को संक्रमित करने के लिए परफेक्ट है.
अब तक वाहक का पता नहीं चल पाया निकोलाई के मुताबिक, कोरोना के मुद्दे में सबसे अहम बात है कि अब तक इसका मुख्य वाहक नहीं पहचाना जा सका है. जैसे मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (ऊंट) के जरिए फैला था व सार्स सिवेट कैट के जरिए. वहीं इबोला वायरस का संक्रमण बंदरों ने फैलाया था,लेकिन अब तक कोरोना का वाहक नहीं खोजा जा सका है. इसलिए कई बातें साफ नहीं हो पा रही हैं.
वायरस की उत्पत्ति पर अभी व रिसर्च की जरूरत निकोलाई कहते हैं कोरोनावायरस की उत्पत्ति पर अभी व रिसर्च करना बाकी है. चाइना के वुहान में पैंगोलिन व चमगादड़ को करीबी सोर्स माना जा रहा है लेकिन ऐसा भी सम्भव है कि प्रयोगशाला में इन दोनों के क्रॉस कंटामिनेशन से नयी तरह का वायरस पैदा होने कि सम्भावना है.

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