इंदौर और उज्जैन दोनों ही मध्य प्रदेश के मालवा-निमाड़ अंचल में बसे हुए हैं. छह अंचलों में विभाजित मध्य प्रदेश में मालवा-निमाड़ ही कोरोना संक्रमण से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है.
देश भर में मध्य प्रदेश छठे पायदान पर है जहां कोरोना संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं. 18 मई तक मध्य प्रदेश में कुल संक्रमितों की संख्या 5,236 पर पहुंच गई. वहीं, राज्य में कुल 252 मौतें भी हुई हैं जिससे महाराष्ट्र और गुजरात के बाद मध्य प्रदेश देश का तीसरा राज्य बन गया है जहां सबसे अधिक मौतें हुई हैं.
प्रदेश में सबसे ज्यादा मामले इंदौर में निकलकर सामने आए हैं. यहां कुल 2565 संक्रमित मिले हैं. वहीं, दूसरे पायदान पर राज्य की राजधानी भोपाल है जहां कुल 1030 मामले सामने आए हैं. इसके बाद उज्जैन का नंबर आता है जहां 343 संक्रमित अब तक मिल चुके हैं.
इसी तरह सबसे ज्यादा मौतें भी इंदौर में हुई हैं. अब तक 101 लोग इंदौर में कोरोना के चलते दम तोड़ चुके हैं. बहरहाल, मौतों के मामले में दूसरे नंबर पर उज्जैन है. कुल 48 लोग यहां दम तोड़ चुके हैं. उज्जैन की औसत मृत्यु दर राष्ट्रीय मृत्यु दर से करीब पांच गुना अधिक है.
उज्जैन में महज 343 मामलों में 48 लोगों की मौत के साथ मृत्युदर 14 फीसद पर ठहरती है जो कि देश के किसी भी जिले में सबसे अधिक है. जबकि भोपाल में उज्जैन से तीन गुना अधिक संक्रमण के मामले (1030) सामने आए हैं लेकिन मरने वालों की संख्या महज 39 है.
इंदौर और उज्जैन दोनों ही मध्य प्रदेश के मालवा-निमाड़ अंचल में बसे हुए हैं. छह अंचलों में विभाजित मध्य प्रदेश में मालवा-निमाड़ ही कोरोना संक्रमण से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है.
मालवा-निमाड़ अंचल कुल दो संभागों (इंदौर और उज्जैन) और 15 जिलों में बंटा हुआ है. इंदौर संभाग में कुल आठ जिले (इंदौर, धार, खरगोन, खंडवा, बुरहानपुर, बड़वानी, झाबुआ और अलीराजपुर) हैं.
वहीं, उज्जैन संभाग में सात जिले (उज्जैन, रतलाम, मंदसौर, शाजापुर, देवास, नीमच और आगर) हैं.
52 जिलों वाले मध्य प्रदेश में 18 मई तक 45 जिलों में कोरोना संक्रमित मरीज पाए जा चुके हैं. लेकिन पूरे राज्य में केवल मालवा-निमाड़ अंचल ही है जहां के हर जिले तक कोरोना संक्रमण पहुंच गया है.
यहां के 15 जिलों में अब तक 3,693 मामले सामने आ चुके हैं. जो कि राज्य के कुल संक्रमितों की संख्या का 70 फीसद से अधिक है. वहीं, यहां अब तक 193 मौतें हो चुकी हैं जो कि राज्य की कुल मौतों का तीन चौथाई से अधिक (77 फीसद) है.
इंदौर में 101 मौतें, उज्जैन में 48, बुरहानपुर में 11, खरगोन और खंडवा में 8-8, देवास में 7, मंदसौर में 5 और धार में 2 मौतें हुई हैं. शाजापुर, नीमच और आगर-मालवा में एक-एक मौत हुई है.
इनमें कई जिले ऐसे हैं जहां औसत मृत्युदर राज्य और देश की औसत मृत्युदर से भी अधिक है. उज्जैन में यह 14 फीसद है. यहां 343 मामलों में 48 की मौत हुई है. देवास में 63 मामलों में 7 की मौत हुई है और मृत्युदर 11.11 फीसद है.
मंदसौर में 60 मामलों में 5 मौतों के साथ 8.3 फीसद, खरगोन में 99 मामलों में 8 मौत के साथ 8.1 फीसद, बुरहानपुर में 152 मामलों में 11 मौत के साथ 7.2 फीसद और खंडवा में 165 मामलों में 8 मौत के साथ 4.9 फीसद है.
अगर बात करें राष्ट्रीय मृत्युदर की तो वह 3 फीसद है. जबकि मध्य प्रदेश की मृत्युदर 4.8 फीसद है. देखा जाए तो जो चिंतनीय हालात इन जिलों में बने हुए हैं वैसे हालात देश के कई राज्यों में भी नहीं हैं.
अगर अंचल को इंदौर और उज्जैन संभाग में विभाजित करके देखें तो इंदौर संभाग के मुकाबले उज्जैन संभाग में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं.
इंदौर संभाग के आठ जिलों में अब तक 3128 संक्रमित मिले हैं जिनमें से 130 की मौत हुई है. जबकि उज्जैन संभाग में इंदौर संभाग के मुकाबले करीब छह गुना कम (565) संक्रमित मिले हैं फिर भी 63 लोगों की मौत हो चुकी है. यानी कि इंदौर संभाग की मौतों का करीब आधा.
मृत्युदर निकालें तो इंदौर संभाग की मृत्युदर 4.2 फीसद है, वहीं उज्जैन संभाग की मृत्यु दर इंदौर संभाग से करीब ढाई गुना से ज्यादा यानी 11.2 फीसद है.
मालवा-निमाड़ के हालात कितने खराब हैं उसे ऐसे समझिए कि केंद्र सरकार के आंकड़ों में पूरे मध्य प्रदेश के 9 जिले रेड ज़ोन में है जिनमें 6 जिले मालवा-निमाड़ के ही हैं. पूरे राज्य में 22 जिले ऑरेंज ज़ोन में हैं जिनमें 8 मालवा-निमाड़ के हैं. मालवा-निमाड़ का केवल एक जिला झाबुआ अब तक ग्रीन ज़ोन में बना हुआ है. लेकिन पिछले दिनों कोरोना संक्रमण ने वहां भी दस्तक दे दी है और सात संक्रमित मिल गए हैं.
बहरहाल, केंद्र सरकार ने जोन में विभाजित जिलों का दोबारा रिव्यू नहीं किया है अन्यथा खंडवा और बुरहानपुर में लगातार बिगड़ते हालातों के चलते वे भी रेड जोन में पहुंच चुके होते.
वहीं, मध्य प्रदेश के सबसे अधिक संक्रमण के मामलों वाले शीर्ष 13 जिलों में 9 जिले मालवा-निमाड़ के ही हैं. इसके अलावा राज्य में 7 ऐसे जिले हैं जहां एक भी कोरोना संक्रमित नही पाया गया है. लेकिन इन जिलों में मालवा-निमाड़ का कोई जिला शामिल नहीं है.
मालवा-निमाड़ के संक्रमण की तुलना पूरे मध्य प्रदेश से करें तो अकेले इस अंचल के 15 जिलों में 3693 मामले और 193 मौतें हैं जबकि बाकी के पांच अंचलों के 37 जिलों में 1543 मामले और 59 मौतें हैं.
इन 1543 मामलों में भी राजधानी भोपाल के 1030 मामले हैं. भोपाल में 39 मौतें भी हुई हैं. अगर इन 37 जिलों में से भोपाल को घटा दें तो राज्य के 36 जिलों में 513 मामले और 20 मौतें हैं.
मालवा-निमाड़ के मामलों में भी उज्जैन और इंदौर का योगदान अधिक है. दोनों जिलों में संयुक्त रूप से 2908 संक्रमित मिले और 149 मौतें हुई हैं. वहीं, इस अंचल के बाकी 13 जिलों में 785 मरीज और 44 मौतें हुई हैं.
स्थानीय लोग मालवा-निमाड़ में बिगड़े हालातों के लिए सीधे तौर पर इंदौर को दोषी ठहराते हैं.
व्यापमं घोटाले के व्हिसल ब्लोअर के तौर पर चर्चित और राज्य की कोविड-19 रिस्पांस टीम के सदस्य डॉ. आनंद राय कहते हैं, 'इंदौर के कारण मालवा-निमाड़ में हालात बिगड़े. यहीं से संक्रमण ने पूरे अंचल में दस्तक दी है.'
अंचल की धार विधानसभा सीट जो कि इंदौर संभाग का हिस्सा है, यहां से कांग्रेस विधायक डॉ. हीरालाल अलावा भी मालवांचल के संक्रमण को इंदौर की ही देन मानते हैं. उनके मुताबिक, 'पहला तो इंदौर से संक्रमण फैला और दूसरा कि अंचल में बड़ी संख्या में लोग रोजगार के लिए महाराष्ट्र और गुजरात जाते हैं. अंचल की सीमाएं भी इन राज्यों से लगी हुई हैं. इन दोनों ही राज्यों में संक्रमण जोरों पर है. उसका भी असर अंचल पर पड़ा हो सकता है.'
हालांकि, इंदौर संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी संक्रमण के प्रसार के लिए पूरी तरह से इंदौर को जिम्मेदार नहीं मानते हैं. वे कहते हैं, 'कुछ ही मामले रहे हैं जिन्हें इंदौर से जोड़ा जा सकता है. वरना देखें तो बड़वानी जिले के संक्रमण का पूरा कारण फॉरेन ट्रेवल हिस्ट्री रही है. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से एक परिवार बड़वानी पहुंचा जिसके 13 सदस्य संक्रमित निकले. उनके कारण डॉक्टर और बाकी नर्सिंग स्टाफ में संक्रमण फैला. खंडवा की बात करें तो वहां मक्का से पहुंचे लोगों के कारण संक्रमण फैला. वहां केवल पांच-छह मामले कह सकते हैं कि जो इंदौर की देन थे.'
वे आगे कहते हैं, 'इसी तरह खरगोन में इंदौर से जुड़े करीब 20 मामले सामने आए. लेकिन वहां पर भी कुछ लोगों की फॉरेन ट्रेवल हिस्ट्री थी तो कुछ लोग तब्लीगी जमात के भी पहुंच गये थे. इसलिए इंदौर संभाग की बात करूं तो कह सकते हैं कि संभाग के बाकी जिलों में इंदौर का योगदान 15-20 फीसद मामलों में ही रहा. बड़वानी और झाबुआ जिलों के संक्रमण में इंदौर का कोई योगदान नहीं रहा. धार जिले में भी गुजरात के सूरत और बड़ोदरा से लोग पहुंचे.'
बहरहाल, संक्रमण की चपेट में उज्जैन संभाग भी है और उसके लिए भी इंदौर को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.
उज्जैन के स्थानीय पत्रकार लोकेश डिंगोरिया कहते हैं, 'उज्जैन में संक्रमण की भयावहता इंदौर की ही देन है. फिर उज्जैन से यह इस संभाग के दूसरे जिलों में जैसे- देवास और मंदसौर पहुंचा. जिस तरह चीन का वुहान संक्रमण का वैश्विक केंद्र बनकर उभरा और वहां से संक्रमण दुनियाभर में फैला, उसी तरह की भूमिका में इंदौर है.'
वे आगे कहते हैं, 'हालांकि, उज्जैन में हालात बिगड़ने के लिए प्रशासनिक लापरवाही और बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं भी जिम्मेदारी रहीं, लेकिन इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि जैसे बड़नगर क्षेत्र में जिस परिवार में आठ मौतें हुईं वो परिवार भी इंदौर गया था. इसी तरह नागदा का पहला संक्रमित भी इंदौर से ही भागकर आया था. इसलिए संक्रमण इंदौर से ट्रेवल करके ही अंचल में दूसरे जिले और तहसीलों तक पहुंचा है.'
देवास जिले का उदाहरण देते हुए हिंदुस्तान समाचार एजेंसी के पत्रकार कैलाश सनोलिया कहते हैं, 'देवास उज्जैन और इंदौर के बिल्कुल नजदीक और बीच में बसा हुआ है. दोनों ही शहरों से इसकी 25 से 30 किलोमीटर दूरी है. जैसे इंदौर का असर उज्जैन पर पड़ा, वैसे ही इंदौर और उज्जैन इन दोनों का असर देवास पर पड़ा. अंचल के लगभग सभी जिला-शहरों की इंदौर और उज्जैन से बहुत अधिक कनेक्टिविटी है, हजारों लोग रोज यात्रा करते हैं. असर तो पड़ना ही था.'
बहरहाल, यहां बता दें कि उज्जैन जिसे अंचल में संक्रमण का केंद्र माना जा रहा है वहां संक्रमण के अनेक कारण रहे जिसमें मध्य प्रदेश की इकलौती अंतर्राष्ट्रीय फ्लाइट 'दुबई से इंदौर' एक अहम कारण रही. साथ ही, इंदौर में संक्रमण प्रसार के शुरुआती दौर में प्रशासनिक ढील, सत्ता की उठापटक, जांच में देरी, जनता के बीच अजागरुकता आदि भी अहम कारण रहे.
इस संबंध में हमने उज्जैन संभागायुक्त आनंद सिंह से भी बात करने के प्रयास किए लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी.
बहरहाल, मध्य प्रदेश सरकार ने लॉकडाउन के चौथे चरण के लिए एक नई पॉलिसी बनाई है जिसमें ऑरेंज ज़ोन को समाप्त करके सभी जिलों को केवल दो श्रेणियों ग्रीन जोन और रेड जोन में विभाजित कर दिया है. इसमें 10 जिलों को पूर्ण और आंशिक तौर पर रेड ज़ोन में डाला गया है. इनमें भी 8 जिले मालवा-निमाड़ क्षेत्र के ही हैं.
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.)