क्या दूसरी बार भी शरीर पर हमला कर सकता है कोरोना वायरस

कोरोना वायरस के मरीज लगातार सामने आ रहे हैं. इनमें से कई पूरी तरह अच्छा होकर अपने घरों को भी जा रहे हैं. अच्छा होने वालों में कहीं बुजुर्ग, तो कहीं छोटे बच्चे शामिल हैं. अच्छा होते मरीजों के बीच एक सवाल उठता है कि क्या किसी को दूसरी बार भी कोरोना वायरस होने कि सम्भावना है? यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में हुए अध्ययन के मुताबिक, कोरोना मरीज को तत्काल तो दोबारा यह संक्रमण नहीं होने कि सम्भावना है, लेकिन आने वाले दिनों या महीनों में यह दोबारा हमला कर सकता है. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर जॉन स्वेट्जबर्ग के अनुसार, उपचार के दौरान मरीज के शरीर में एंटीबॉडीज की मात्रा बढ़ जाती है. इसी से वह कोरोना वायरस से मुक्त हो जाता है, लेकिन जैसे-जैसे इन एंटीबॉडीज की मात्रा घटती है, वैसे-वैसे कोरोना वायरस का संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है. वैसे कोरोना वायरस जैसे ही एक अन्य वायरस के अध्ययन से पता चला है कि एंटीबॉडीज का शरीर में 2 वर्ष तक प्रभाव रहता है.

जॉन स्वेट्जबर्ग के अनुसार, हमारा अनुभव कहता है कि एंटीबॉडीज कुछ समय तक तो कोरोना वायरस से बचाव करेंगे. वैज्ञानिकों ने बंदरों पर यह इस्तेमाल किया है व अब तक दूसरी बार किसी में संक्रमण नहीं हुआ है. वैज्ञानिक इसे इन्सानों के लिए भी अच्छा इशारा मान रहे हैं.
सबसे अहम है इम्युनिटी
कोरोना वायरस के विरूद्ध लड़ाई में इम्युनिटी यानी बीमारियों से लड़ने की ताकत सबसे अहम है. यूनिवर्सिटी ऑफ अलबामा के फ्रांसिस लुंड कहते हैं, हमें नहीं पता कि कोरोना वायरस से अच्छा हो चुके इंसान के शरीर में इम्युनिटी कब तक रहेगी? इम्युनिटी की क्वालिटी कब तक रहेगी? जब तक इम्युनिटी है, कोरोना वायरस के साथ ऐसी कोई भी बीमारी शरीर पर हमला नहीं बोल पाएगी. मस्तिष्क ज्वर व हेपेटाइटिस ए तथा बी जैसी बीमारियों में भी इम्युनिटी अहम किरदार निभाती है. वैज्ञानिकों का बोलना है कि इंसानी शरीर में कुछ एंटीबॉडीज हमेशा रहते हैं, वहीं कुछ वक्त के साथ अगल-अलग कारणों से समाप्त हो जाते हैं. इम्युनिटी को लेकर www.myupchar.com से जुड़ीं डाक्टर आकांक्षा मिश्रा कहती हैं, सभी तरह के विटामिन, आयरन व कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ ऐसे दशा में लाभकारी हैं.
कोरोना वायरस कितने दिन बाद दोबारा हमला करता है?
इस पर ज्यादातर वैज्ञानिक अभी कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन अमेरिका में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शियस डिजिज के हेड एंटनी फौसी का मानना है कि यदि किसी को मार्च में कोरोना वायरस हुआ है तो उसमें कम से कम सितंबर तक की इम्युनिटी होगी. उनके मुताबिक, यदि वायरस वैसा ही है जैसा हम जानते हैं, तो उपचार के बाद यह शरीर से पूरी तरह निकल जाता है, इंसान की इम्युनिटी भी बढ़ जाती है, जो री-इन्फेक्शन से रोकती है.
www.myupchar.com से जुड़े डाक्टर लक्ष्मीदत्ता शुक्ला के अनुसार, लोग अपनी ज़िंदगी शैली में छोटी-छोटी गलतियां करते हैं व ये गलतियां ही इम्युन सिस्टम पर प्रभाव डालती हैं व कोरोना वायरस जैसी महामारी हमला बोलती है. इसलिए हर वो कार्य करने से बचें, जिसका प्रभाव इम्युनिटी पर पड़ता है.

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