कोरोना वायरस का प्रकोप दुनियाभर में है. बड़े-बड़े देश जैसे अमेरिका, इटली भी इस वायरस को नियंत्रित करने के लिए भरसक कोशिश कर रहे हैं.
हिंदुस्तान में भी सरकार ने लॉकडाउन के साथ इस वायरस से बचने का तरीका निकाला है. लेकिन स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक इसका ट्रांसमिशन इतना गंभीर है कि इस वायरस को पूरी तरह रोकने में वर्षों लग सकते हैं. ऐसे माहौल में लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग रखने के लिए बोला गया है. जब भी घर से निकलें तो मास्क पहनना महत्वपूर्ण है व साथ ही स्वच्छता का पूरा ख्याल रखना होगा. कई लोग एन95 मास्क नहीं खरीद सकते हैं जो कि वायरस से बचने के लिए बेहतर उपाय है. इसलिए कई लोगों ने घर पर मास्क बनाना प्रारम्भ कर दिया है. www.myupchar.com से जुड़े एम्स के डाक्टर अजय मोहन का बोलना है कि संक्रमित आदमी के छींकने, खांसने या बोलने के दौरान उसके मुंह से निकली द्रव की सूक्ष्म बूंदे हवा के माध्यम से एक स्वस्थ आदमी को संक्रमित कर सकती हैं. ऐसे में मास्क बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है.www.myupchar.com से जुड़ीं एम्स की डाक्टर वीके राजलक्ष्मी का बोलना है कि स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस महीने की आरंभ में एक एडवाइजरी जारी की थी जिसमें आम जनता के लिए घर के बने, धोने योग्य व फिर से प्रयोग करने लायक मास्क पहनने की की सलाह दी थी. ये मास्क वे लोग प्रयोग कर सकते हैं जो कि संक्रमण के शिकार नहीं हुए है व उन्हें सांस लेने में परेशानी नहीं है क्योंकि ये 70 फीसदी सुरक्षा प्रदान करते हैं व ये सरलता से धोने व पुन: प्रयोग के योग्य हैं. मेडिकल मास्क हालांकि, एक बार ही प्रयोग हो सकते हैं व 97 फीसदी सुरक्षा प्रदान करते हैं. सरकार ने कोविड-19 महामारी के दौरान घर से निकलने पर चेहरे को ढंकने के लिए पहने की सलाह दी है. इन्हें सोशल डिस्टेंसिंग व उचित हैंड हाइजीन के महत्वपूर्ण नियमों के साथ प्रयोग करने है. लेकिन कई लोगों के मन में सवाल होता है कि घर का बना मास्क कितना सुरक्षित या प्रभावी है?स्वास्थ्य अधिकारियों का बोलना है, एक मास्क केवल तभी प्रभावी होता है जब वह नाक व मुंह पर अच्छा से फिट हो, इसमें अच्छी तरह से बुने हुए फाइबर हो व इससे सांस लेने में समस्या न हो. यदि फाइबर को अधिक कसकर बुना जाता है, तो मास्क अधिक प्रभावी हो जाता है. इस मुद्दे में, डेनिम, बेड शीट का उपयोग किया जा सकता है. लेकिन यह याद रखना है कि यह मास्क वायरस को इसके माध्यम से प्रवेश करने से पूरी तरह से रोकने में सक्षम नहीं है. लेकिन फिर भी कुछ भी नहीं पहनने की तुलना में किसी भी वस्तु के साथ चेहरे को कवर करना बेहतर है.एन95 मास्क कपड़े के मास्क की तुलना में ज्यादा अधिक सुरक्षा प्रदान करते हैं. नॉन मेडिकल मास्क यानी जो होममेड (घर पर बने) मास्क होते हैं, उन्हें एन95 मास्क जितना प्रभावी नहीं माना जाता है. क्योंकि होममेड मास्क केवल बड़े कणों को मुंह में प्रवेश करने से रोकने में सक्षम हैं. तो उस स्थिति में यह लोगों की खांसी, थूक व छींक से बचाता है. अमेरिकन लंग एसोसिएशन के अनुसार कई लोग ऐसे हैं जिनमें कोई लक्षण नहीं पाए जाते हैं. इसलिए यदि पब्लिक प्लेस में मास्क पहनते हैं तो अन्य लोग खांसी या छींक से बच जाएंगे.मास्क वायरस के ट्रांसमिशन की प्रक्रिया को धीमा कर देता है. यानी होममेड मास्क पहनने वाले को वायरस से नहीं बचाते हैं, लेकिन अगर वायरस खुद बीमार हो तो यह वायरस के पब्लिक ट्रांसमिशन को रोक देता है. इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य ऑफिसर डॉक्टरों व नर्सों के लिए एन95 मास्क के सीमित स्टॉक छोड़ने के लिए कह रहे हैं व इसके बजाय सामान्य कपड़े या गैर सर्जिकल मास्क का उपयोग कर रहे हैं.मेडिकल मास्क के सीमित स्टॉक के बारे में सोचते हुए स्वास्थ्य अधिकारियों ने चिकित्सा संस्थानों के लिए एन95 मास्क स्टर्लाइज करने के लिए एक प्रोटोकॉल विकसित किया है.