आज माधुरी दीक्षित की पहली फिल्म 'अबोध' देखना कैसा अनुभव है?

माधुरी दीक्षित ने आज अपना 54वां जन्मदिन मना रही हैं. अगर उन गिनचुने सालों को छोड़ दिया जाए जब वे अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियां पूरी करने के लिए फिल्मों से दूर थीं, तो फिल्म इंडस्ट्री से माधुरी दीक्षित का रिश्ता करीब साढ़े तीन दशक पुराना है. 36 साल पहले सन 1986 में माधुरी दीक्षित ने महज गर्मी की छुट्टियां काटने के लिए एक फिल्म साइन की थी. इस फिल्म का नाम था 'अबोध' और इसका निर्माण राजश्री प्रोडक्शन्स ने किया था. इस फिल्म की क्रेडिट लिस्ट उनके नाम से पहले लिखा गया था 'नई तारिका - माधुरी दीक्षित' यानी 'इंट्रोड्यूसिंग - माधुरी दीक्षित.' यहां रस्मी तौर पर हम कह सकते हैं कि उसके बाद माधुरी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज वे उम्र, करियर और जिंदगी के कई पड़ाव पार कर चुकी हैं और वो माधुरी दीक्षित बन चुकी हैं जो इंडस्ट्री में आने वाली हर लड़की बनना चाहती है. इस माधुरी दीक्षित बनने की शुरूआत जिस फिल्म से हुई, उसे आज देखना एक अलग ही अनुभव है.

अपनी इस पहली फिल्म के समय माधुरी दीक्षित सिर्फ सत्रह साल की कच्ची उम्र वाली लड़की थीं, लेकिन अबोध देखकर साफ पता चलता है कि अभिनय में वे कतई कच्ची नहीं थीं. अनुपम खेर के एक टीवी शो में माधुरी बताती हैं कि फुर्सत का वक्त बिताने के लिए उन्होंने इस फिल्म में काम किया और इसके बाद उन्हें अगली फिल्म 'स्वाति' का ऑफर आ गया. इसी बातचीत में माधुरी कहती हैं कि वे पढ़ाई के बीच में शौक पूरा करने के लिए फिल्में करती गईं और हर फिल्म के बाद उन्हें नए ऑफर मिलते गए. ये ऑफर इसीलिए आ रहे थे क्योंकि पहली ही फिल्म में उनकी परफॉर्मेंस से दुनिया को पता चल गया था कि वे गुमनाम रहने के लिए नहीं आई हैं.
यह बड़ी दिलचस्प बात है कि माधुरी की इस पहली फिल्म में कई ट्विस्ट हैं और हर ट्विस्ट के बाद यहां आपको उनके अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं. या कहिए उन रूपों की झलक दिखती है जो उनकी बाद की फिल्मों में कम या ज्यादा नजर आए. जैसे, शुरुआती हिस्से में वे एक चंचल बच्ची की तरह शरारतें करती दिखती हैं. यहां पर जो शोखी उनके चेहरे पर नजर आती है, उसे आप विस्तार से 'हम आपके हैं कौन' में पाते हैं. फिल्म के आगे बढ़ने पर अबोध की इस नायिका को प्यार होने लगता है. वह अपने इस 'लव इंटरेस्ट' की परवाह करती है, लेकिन अपने बचपने के चलते उसे छेड़ती भी रहती है. ऐसी मस्ती वाली कई भूमिकाएं उन्होंने बाद की फिल्मों में निभाई हैं. फिल्म के इस हिस्से में माधुरी जिस रोमांस, गुस्से या सहज अभिनय की झलक दिखाती हैं, उसे बेटा, साजन या उनकी कई और फिल्मों में देखा जा सकता है.
अबोध का दूसरा हिस्सा और क्लाइमैक्स दुखी और पछतावे से भरी नायिका को दिखाता है. यहां पर माधुरी में वो आग नजर आती है जो आगे चलकर उन्हें परिंदा या अंजाम जैसी फिल्में करने के लायक बनाती है. एक खास बात और, इस फिल्म में जिसने भी माधुरी को देखा होगा, यह जरूर सोचा होगा कि यह नई लड़की तो इस हीरो - तापस पॉल पर भारी पड़ गई है! वैसे बांग्ला फिल्मों तापस ने कितनी भी सफलता बटोरी हो, लेकिन हिंदी सिनेमा तो उन्हें सिर्फ इसीलिए याद करता है कि वे माधुरी दीक्षित के पहले हीरो बने थे. बाद में भी ऐसा कई बार हुआ जब माधुरी ने अपने नायकों से ज्यादा तारीफें बटोरी या उनकी फिल्म किसी हीरो के बजाय उनके दम पर चल गई.
अबोध की माधुरी पर वापस लौटें तो इस फिल्म में उनके पास अलग-अलग एक्सप्रेशन्स के जरिए यह दिखाने के कई मौके थे कि वे एक काबिल अभिनेत्री हैं. लेकिन यह भी दिलचस्प बात है कि यह फिल्म उनकी नृत्य कला की क्षमता का कोई उपयोग नहीं कर पाती. यहां जिन गानों में उन्हें नाचने का मौका दिया भी गया है तो वे केवल बागों और खेतों में उछलने कूदने के दृश्य हैं. इन्हें देखकर यह कोई नहीं कह सकता था कि चार-छह फिल्मों बाद ये लड़की एक ऐसे गाने पर डांस करने वाली है जो बॉलीवुड डांस को एक जॉनर की तरह स्थापित कर देगा, माधुरी को डांस दीवा का तमगा देगा और हजारों-लाखों की भीड़ सिनेमाघरों में सिर्फ इस लड़की को एक-दो-तीन पर थिरकते हुए देखने के लिए जाएगी.
इस फिल्म में कॉटन की साड़ी में लिपटी माधुरी को देखकर यह अंदाजा भी नहीं लगता कि आने वाला वक्त उन्हें 'हमको आजकल है' जैसे सेंशुअस गाने पर नचाने वाला है और दुनिया को बौरा देने की हद तक इस अभिनेत्री का दीवाना बना देने वाला है. घूंघट वाली इस माधुरी को देखकर तब यह सोचना भी मुश्किल रहा होगा कि इस लड़की के पोस्टर आगे जाकर युवा लड़के-लड़कियों के बेडरूम में लगने वाले हैं. हां, फिल्म में कुछ दृश्य ऐसे जरूर हैं जिनमें माधुरी की स्माइल वैसी ही दिखती है, जैसी आज है - एकदम ताजा और अपने आप में संपूर्ण.
अबोध यह तो नहीं बता पाती कि यह लड़की कभी धक-धक गर्ल बनेगी, या इसके पहने कपड़े लाखों में बिकेंगे और लाखों-करोड़ों उनकी नकल करेंगे. फिल्म देखकर यह भी नहीं लगता कि कल हर लड़की माधुरी दीक्षित बनना चाहेगी. इसके बावजूद अबोध यह जरूर बता देती है कि आंखो में चमक लेकर आई यह लड़की आने वाले वक्त में आंखे चुंधिया देने वाला काम करने का दमखम जरूर रखती है.

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