बक्सर : वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय की एकमात्र अंगीभूत इकाई डुमरांव स्थित डीके कॉलेज में कला विषय की पढ़ाई पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। इस कॉलेज में पूर्व से ही दो संकाय समाजशास्त्र एवं गृह विज्ञान की पढ़ाई नहीं होती है। तब तक विवि प्रशासन द्वारा इतिहास एवं उर्दू विषय की पढ़ाई पर सरकार से संबद्धन के अभाव का हवाला नामांकन पर रोक लगा दिया गया है।
अब मनोविज्ञान एवं राजनीति शास्त्र विषय की पढ़ाई की ही मान्यता रह गई है। पहले से कला संकाय के गृहविज्ञान, समाज शास्त्र की पढ़ाई नहीं होने के बाद इतिहास की पढ़ाई पर रोक लगाए जाने से सबसे अधिक लड़कियों की पढ़ाई पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। खासतौर पर कला संकाय का चयन करनेवाली लड़कियों के समक्ष विषय चयन को लेकर समस्या उत्पन्न हो गई है। महाविद्यालय के एक शिक्षक के अपना नाम-पता नहीं छापने की शर्त पर बताया कि कला विषय के नाम पर डी.के.कॉलेज में कला संकाय में महज मनोविज्ञान एवं राजनीति शास्त्र की पढ़ाई रह जाएगी। क्षेत्र के प्रबुद्ध नागरिकों में युवराज चंद्रविजय सिंह, शंभूशरण नवीन, सत्यनारायण प्रसाद एवं नगर परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष चुनमुन प्रसाद वर्मा ने इतिहास एवं उर्दू विषय की पढ़ाई पर रोक लगाए जाने के निर्णय पर सरकार एवं विवि प्रशासन को अपने निर्णय पर विचार करने की मांग की है। इसके चलते क्षेत्र की बच्चियों के पठन-पाठन पर दुष्प्रभाव पड़ना तय है।
इतिहास एवं उर्दू की डिग्री पर खड़े हुए सवाल
वर्ष 1984 से 2019 की डिग्री पर सवाल खड़े हो गए हैं। कॉलेज के एक शिक्षक ने बताया कि वर्ष 1984 में मगध विश्व विद्यालय के पूर्व वीसी द्वारा डीके कॉलेज में उर्दू एवं इतिहास विषय की पढ़ाई को अनुमति प्रदान की गई थी। तब कॉलेज में नियुक्त तदर्थ शिक्षक के माध्यम से लगातार दोनों विषय की पढ़ाई होती थी। अब वर्ष 1984 से 2019 तक इतिहास एवं उर्दू की पढ़ाई के बाद डिग्री लेनेवाले छात्रों के प्रति सवाल खड़े हो गए हैं। जब बगैर संबंद्धन एवं सरकार के परमिशन के कॉलेज में पढ़ाई होती थी। तब क्या वैसे डिग्रीधारक छात्र की डिग्री मान्य होगी।
नारी सशक्तीकरण एवं स्वावलंबन पर असर
एक तरफ राज्य सरकार द्वारा लड़कियों के कॉलेजस्तरीय पढ़ाई पर किसी तरह की फीस नहीं ली जाती है। वहीं, कला संकाय के अधिकांश विषयों की पढ़ाई की अनुमति एवं कथित संबद्धन की कमी का हवाला देकर पढ़ाई पर रोक लगाए जाने के निर्णय से क्षेत्र की लड़कियों के अलावा उनके अभिभावकों बीच बच्चियों के पठन-पाठन को लेकर चिता बढ़ गई है। उधर, कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य डॉ.धीरेन्द्र सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय के एकेडेमिक काउंसिल में दोनों विषय की पढ़ाई को लेकर प्रस्ताव पारित कराया गया है।
Posted By: Jagran
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