सुबह सुबह तरोताजा होने के लिए हम स्नान करते है और जब शाम को दिनभर के काम से थककर चूर हो जाते है फिर हम स्नान करते है | ताकि थोड़ी शांति और थकान से छुटकारा पा सके | नहाने प्रत्येक मनुष्य के लिए बेहद जरुरी है, वैसे इसके अलावा हमारे धर्म शास्त्रों में भी नहाने को लेकर कुछ नियम और कायदे बताये गए है |
हमारे धर्म शास्त्रों में स्नान को लेकर कई बाते बताई गयी है | यदि इनका पालन किया जाये तो मनुष्य के जीवन से आधी परेशानियां तो स्वयं ही समाप्त हो जाती है | ऐसे में आज हम आपको इसी बारे में जानकारी देने जा रहे है |
गरुड़ पुराण के नियम
भगवान विष्णु से जुड़े गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जब भी कोई व्यक्ति स्नान करता है, तो उसके कपड़ो से गिरने वाले जल को उसके पितृ ग्रहण करते है | इससे वे तृप्त होते है, इसीलिए व्यक्ति को सदैव वस्त्र पहनकर ही स्नान करना चाहिए | ऐसा ना करने पर पितृ नाराज हो जाते है और ये पितृ दोष की वजह बनता है |
पद्म पुराण के नियम
पद्म पुराण में बिना वस्त्रो के स्नान करना पाप के सामान बताया गया है | इस बारे में कथा बताई जाती है कि एक बार गोपियाँ अपने वस्त्र नदी किनारे उतारकर नदी में स्नान करने के लिए गयी | उसी समय श्रीकृष्ण ने उनके कपडे छिपा दिए | इसके बाद जब गोपियाँ अपने वस्त्र ढूंढने लगी तो श्रीकृष्ण ने उन्हें बताया कि उनके वस्त्र पेड़ पर टंगे है वे आये और ले जाए | इस पर गोपियों के कहा कि वे निर्वस्त्र है वे कैसे बाहर आ सकती है | उन्होंने कहा कि जब वे स्नान के लिए आयी थी, तब उस स्थान पर कोई नहीं था | तब श्रीकृष्ण ने कहा कि तुम्हे लगता है कि मैं नहीं था लेकिन मैं तो हर पल, हर जगह मौजूद होता हूं | तुम्हे लगता है तुम्हे किसी ने नहीं देखा आसमान में उड़ते पक्षियों और जमीन पर चलने वाले जीवों ने तुम्हें निर्वस्त्र देखा। तुम निर्वस्त्र होकर जल में गईं तो जल में मौजूद जीवों ने तुम्हें निर्वस्त्र देखा और तो और जल में नग्न होकर प्रवेश करने से जल रूप में मौजूद वरुण देव ने तुम्हें नग्न देखा, यह उनका अपमान है | इसीलिए बताया जाता है कि कभी निर्वस्त्र होकर स्नान नहीं करना चाहिए |