जानें कब है वृषभ संक्रांति ? क्यों मनाई जाती है और क्या है इसका महत्व

Vrishabha Sankranti 2020: मेष संक्रांति के भांति ही वृषभ संक्रांति भी महत्वपूर्ण माना गया है. हिंदू कलैंडर के अनुसार ज्येष्ठ मास को वर्ष का दूसरा महीना माना गया है. इस महीने सूर्य के वृष राशि में प्रवेश करने को वृषभ संक्रांति कहा जाता है. इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्च बताया गया है. एक राशि में सूर्य एक माह तक गोचर करते हैं. इस दृष्टि से हर माह एक संक्रांति होती है. वृषभ राशि में सूर्य 15 जून तक रहेंगे. इसके बाद वह मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे.

सूर्य सभी राशियों पर डालते हैं प्रभाव सूर्य सभी ग्रहों में अधिपति हैं. इस कारण उनका राशि परिवर्तन सभी राशियों पर पूरा प्रभाव डालता है. सूर्य की स्थिति को ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण मानी गई है. जन्म कुंडली में सूर्य की डिग्री और स्थिति से ही व्यक्ति के भविष्य का पता चलता है. सूर्य का संबंध पद-प्रतिष्ठा,यश-अपयश, आत्मबल, नेत्र, आरोग्य आदि से भी है. शासन-प्रशासन का कारक भी सूर्य ही है.
व्रत और पूजा संक्रांति का व्रत लाभकारी माना गया है. इस दिन व्रत रखने से मनोकामना पूर्ण होती है और जीवन में यश वैभव प्राप्त होता है. इस दिन भगवान शिव के ऋषभ रूद्र स्वरूप और सूर्य भगवान की आराधना श्रेयष्कर मानी गई है.
लॉकडाउन में ऐसे करें स्नान इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने को शुभ माना गया है. लेकिन इस समय कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन की स्थिति बनी हुई है. लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं. ऐसे में घर पर ही स्नान करने के दौरान जल में गंगा जल की कुछ बूंदे मिलाकर स्नान करें.
प्याऊ स्थापित करने से मिलता है पुण्य ज्येष्ठ मास गर्मी का महीना होता है. सूर्य देव इस महीने अपने पूरे प्रभाव में होते हैं. ऐसे में जल का संकट उत्पन्न हो जाता है. वृषभ संक्रांति पर प्याऊ लगवाने और जल से भरे घड़े दान करने से कई गुना पुण्य प्राप्त होता है. इस दिन जगह प्याऊ लगाने से जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है.
वृषभ संक्रांति का मुहूर्त 14 मई 2020: वृषभ संक्रांति पुन्यकाल: सुबह 10.37 बजे से शाम 5.33 बजे तक पून्यकाल की कुल अवधि: 6. 56 घंटे महा पून्यकाल: 3.23 बजे से शाम 5.33 बजे तक
सूर्य का वृष राशि में गोचर कर्क, सिंह, धनु और मीन राशि वालों के लिए होने जा रहा है शुभ

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