इन तरीको से रखे अपनी माँ के स्वास्थ्य का ख्याल

मां घर में हर किसी का खयाल रखती है. लेकिन वह अपना ध्यान अच्छा से नहीं रख पाती है. यह बात घरेलू व कामकाजी दोनों स्त्रियों पर लागू होता है. 20-30 साल की आयु में शरीर की कोशिकाएं मजबूत होती हैं तो कोई समस्या नहीं होती है लेकिन जैसे-जैसे आयु बढ़ती है.

कठिनाई सामने आने लगती है. मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है. इस बात यह 10 मई को है. मां को हर आयु में हैल्दी डाइट के साथ आराम आदि की आवश्यकता होती है. जानते हैं क्या है मां का हैल्थ मंत्र. उम्र के हिसाब से समस्या 20-35 साल की आयु में आमतौर पर लड़कियों की विवाह हो जाती है. वे कार्य पर ज्यादा ध्यान देती हैं. उनमें एनीमिया, माहवारी की अनियमितता, संक्रामक रोग, रिप्रोडक्टिव ऑर्गन इंफेक्शन व अनचाहे गर्भ के मुद्दे अधिक देखे जाते हैं. इनकी अनदेखी न करें. 35-45 साल की आयु में महिलाएं बच्चे व परिवार में इतनी व्यस्त रहती हैं कि अपनी स्वास्थ्य के लिए समय नहीं निकाल पाती हैं. बच्चों के कॅरियर और खानपान का अधिक तनाव रहता है. इससे मानसिक समस्याएं होती हैं. इसी आयु में हॉर्मोन असंतुलन से महिला का वजन तेजी से बढ़ता या घटता है. बाल झडऩे के साथ जोड़ों में दर्द व हड्डियां निर्बल होती हैं. इससे कमजोरी, कार्य में मन न लगना व हर वक्त थकान रहती है. 45 साल से अधिक से आयु की स्त्रियों में कई तरह की समस्या होती है. मेनोपॉज होने से हॉर्मोन असंतुलन से हार्ट डिजीज, ब्लड प्रेशर, कैंसर व मानसिक रोग आदि का खतरा रहता है. लेकिन प्रारम्भ से ही अच्छा खानपान, ठीक दिनचर्या, नियमित जाँच आदि पर ध्यान दिया जाए तो इनसे बचाव संभव है. खून की कमी स्त्रियों में गंभीर समस्या है. इसलिए आयरन रिच डाइट जैसे चुकंदर, पालक, गाजर व दूसरी मौसमी फल-सब्जियां के साथ डेयरी प्रोडक्ट अधिक लेना चाहिए जबकि मेनोपॉज प्रारम्भ होने के बाद उनमें विटामिन डी व कैल्शियम की कमी होने लगती है. रोज एक लीटर दूध या डेयरी प्रोडक्ट लें. विटामिन्स वाली चीजें अधिक लें. रोटी-चावल कम व फल-सब्जियां भी ज्यादा मात्रा में लेनी चाहिए. हैल्दी डाइट लें रुटीन टेस्ट करवाते रहें पुरुषों की तुलना में स्त्रियों में बीमारियां कम आयु में होती हैं. इसलिए 30 साल के बाद से ही कुछ जांचें जैसे मेमोग्राम, एचपीवी व पैपस्मीयर जाँच डॉक्टरी सलाह पर करवानी चाहिए. 40 साल के बाद से थायरॉइड, शुगर, बीपी, कैल्शियम की रेगुलर जाँच से बीमारी की संभावना घटती है. स्त्रियों में कई बीमारियां हैं जिन्हें समय रहते जांचों से पहचाना जा सकता है. कुछ टीके भी आते हैं जो बीमारियों से बचाते हैं. ृआराम करें, तनाव न लें महिलाएं घर में सबसे पहले उठती व सबसे बाद में सोती हैं. लेकिन पर्याप्त नींद नहीं लेतीं. नींद की कमी से ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, स्ट्रोक व हार्मोन संबंधी बीमारियों की संभावना बढ़ती है. पारिवारिक जिम्मेदारियों से वे ज्यादा तनाव में रहती हैं. तनाव से जल्दी बुढ़ापे की और अन्य समस्याएं होती हैं. नियमित योग व्यायाम करें स्वस्थ रहने के लिए रोज 40-50 मिनट व्यायाम महत्वपूर्ण है. लेकिन अधिकांश महिलाएं व्यायाम नहीं करती हैं. घर में भी योग-व्यायाम कर सकती हैं. स्त्रियों को वृक्षासन, गोमुखासन, सर्वांगासन व भ्रामरी प्राणायाम करना चाहिए. इससे तन-मन दोनों स्वस्थ रहता है. थकान भी घटती है. इसलिए देखें कि मां ये जरूर करें. मां को रोज समय दें मां से सब उम्मीद करते हैं कि उनका कार्य वह समय पर कर दें. लेकिन क्या आप भी मां के लिए प्रतिदिन थोड़ा समय निकालते हैं? प्रयास करें कि उनके पास बैठकर बात करें. इससे वे मानसिक रूप से स्वस्थ रहेंगी. उनकी समस्या का भी आपको पहले पता चल सकेगा. इससे समय पर उपचार आदि हो सकेगा. खुशनुमा माहौल से मां की इम्युनिटी बढ़ेगी. वे हैल्दी रहेंगी. 45-50 साल में कैंसर का खतरा एक शोध के अनुसार भारतीय स्त्रियों में 45-50 साल में कैंसर देखने को मिला रहा है. इसमें कारणों में कुपोषण, मोटापा, अधिक फैटी फूड खाना, देरी से शादी, स्तनपान की कमी, तनाव, स्वास्थ्य पर ध्यान न देना है. करीब 10 प्रतिशत स्त्रियों में जेनेटिक कारणों से कैंसर हो रहा है.

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