शर्बत पीना गर्मियों में बहुत अधिक लाभकारी होता है। इसके पीने से ना तो लू लगती है और ना ही पेट संबंधित दूसरी बीमारियां होती हैं। खासतौर पर जिन्हें बवासीर जैसा पीड़ा देनेवाला रोग है, उनके लिए तो बेल का शर्बत अमृत तुल्य होता है...
दो तरह का होता है बवासीर रोग
-बवासीर का रोग दो तरह का होता है। आम भाषा में इन्हें खूनी और बादी बवासीर कहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि खूनी बवासीर में मल के साथ ब्लड भी आता है। जबकि बादी बवासीर में ब्लड तो नहीं आता लेकिन जलन और दर्द इतना होता है मरीज चीखने लगता है।
-बादी बवासीर में पेशंट को अक्सर कब्ज की शिकायत हो जाती है। पेट में गैस बनती रहती है। अक्सर पेट में दर्द, लूज मोशन या पेट से जुड़ी दूसरी बीमारियां होती रहती हैं। ऐसा बवासीर के कारण होता है।
ऐसे राहत देता है बेल का शर्बत
-बेल का शर्बत शरीर की गर्मी को शांत करने का काम करता है। पेट में ठंडक बनाए रखता है और हमारे पाचन को स्मूद करता है। इससे पेट से संबंधित बीमारियां नहीं होती हैं।
-अगर किसी को कब्ज की समस्या रहती है तो वह भी नियमित रूप से बेल के शर्बत का उपयोग करें। उन्हें निश्चित रूप से आराम मिलेगा। बेल में टेनिन पाया जाता है, जो पाचन को सही रखने में मदद करता है।
-बेल का शर्बत तासीर में ठंडा होता है। यह हमारे पेट में होने वाली गर्मी को शांत करता है। यह फाइबर से भरपूर होता है, इस कारण प्रेशर को स्मूद बनाता है और पाइल्स के दौरान दर्द में राहत मिलती है।
रेक्टल कैंसर बन सकता है पुराना बवासीर
-अगर बवासीर के रोग को लंबे समय तक अनदेखा किया जाए तो यह रेक्टल कैंसर के रूप में भी परिवर्तित हो सकता है। रेक्टल कैंसर हमारे रिक्टम यानी गुदा मार्ग में होता है।
-हालांकि बवासीर को रेक्टल कैंसर का रूप लेने में काफी समय लगता है। इसलिए बेहतर है कि बवासीर की समस्या होने पर या इसके लक्षण नजर आने पर ही डॉक्टर से संपर्क किया जाए और सही ट्रीटमेंट लिया जाए।
बवासीर से बचने के उपाय
-बवासीर से बचे रहने का सबसे अच्छा तरीका का है कि आप अपनी जीवनशैली पर ध्यान दें। पेट साफ रखें और ऐसा भोजन करें, जिसमें फाइबर की मात्रा अच्छी हो। ताकि पेट ठीक से साफ होता रहे।
-अपने खाने में आयुर्वेद के नियमों का पालन करें। सोने और जागने का समय निर्धारित करें और शारीरिक गतिविधियां जैसे योग, नृत्य, वॉक, रस्सी कूद इत्यादि को जीवन का हिस्सा बनाएं।
-बेल का शर्बत, एलोवेरा, गिलोय, हल्दी का दूध, मौसम के अनुसार हरी सब्जियां और दालों का सेवन जरूर करें।