अब बात मेरी दूसरी मां की, जो मुझे शादी के बाद मिली। वह भी मुझे उतना ही प्यार करती है, जितना मेरी मां मुझसे करती है, इसलिए कभी भी उनके पास होते हुए मुझे मां की कमी महसूस नहीं होती। वो भी मुझे दिल से बेटी मानती है, इसलिए कभी भी उनको देखकर सास वाली भावना नहीं आती।भगवान को शुक्रिया, जिन्होंने मुझे इतनी अच्छी मां दी। क्योंकि मां तो सभी को मिलती है, लेकिन सास में मां मिलना थोड़ा मुश्किल है। मेरा मानना है कि हर बहु अपनी सास में मां को तलाशें, वैसे ही उनका सम्मान करें तो सास भी बहु को बेटी जैसा प्यार देती हैं। खुद की बात करूं तो इस बार एक मां के नाते मेरा पहला मातृ दिवस है। गुरुबानी अभी छोटी है। इसलिए उसे तो पता नहीं की मातृ दिवस क्या होता है। इसलिए मैंने अपने आप को ही खुद मुबारकबाद दे दी। साथ ही अपने से वादा भी किया कि मैं गुरुबानी को हमेशा खुश रखूंगी, साथ ही उसकी हर बात को समझने की कोशिश करूंगी। उसके लिए मेरा समय हमेशा पहले उसका होगा।
देखते ही देखते वह आठ माह की हो गई है। कभी-कभी ऐसा लगता है। बस अभी कल ही की तो बात थी, जब अस्पताल में नर्स ने आकर उसे पहली बार मेरी गोद मे दिया था। पता नही पर उस समय मैं सिर्फ उसको देखकर एक दम से रो पड़ी थी। मैं अपने आंसुओं को उस समय रोक नही पा रही थी। बस एक हाथ से उसको छू रही थी और दूसरे हाथ से अपने आंसुओं को रोक रही थी।याद है, वो दिन जब पहली बार वो हंसी। उस समय मेरी निगाहें उसपर से हटने का नाम ही नहीं ले रही थी। इसलिए मैं सारा दिन उसे देखती रहती यही सोच कर कि अब वह फिर हंसेंगी। समय कैसे जा रहा है, पता भी नहीं लग रहा।अब तो बहुत समझदार हो गई है। क्योंकि उसको सबके हाथ में फोन दिखाई देता है। तब वो गुस्सा करके सबके फोन अपने पास रखना चाहती है। वो चाहती है, सभी लोग उसके आस-पास रहे और उसके साथ खूब खेले। तुम हमेशा खुश रहो, बाबा जी तुम पर अपनी मेहर करे। इस मां की यही दुआ है। एक स्त्री के लिए बेटी से मां तक का सफर बहुत ही खूबसूरत होता है।