जब से कोरोना वायरस का खौफ लोगों में बढ़ा है, हमारे आहार को लेकर तरह-तरह के सवाल भी सामने आने लगे हैं। बहस छिड़ी है कि कहीं इस महामारी के पीछे मांसाहार का सेवन तो नहीं है! खैर यह तो शोध का विषय है। पर प्राचीन शास्त्रों में क्यों शाकाहार को जरूरी माना गया है, आइए जानें
प्राचीन चिकित्सा पद्धति की मानें तो मांसाहार के कारण ही गठिया, आंतों, लिवर तथा पित्त की समस्याएं बढ़ रही हैं। कुछ शोधों के अनुसार कैंसर फैलने के प्रमुख कारणों में से एक कारण मांसाहार भी है। मांसाहार से पेट में इन्फेक्शन, मोटापा, बीपी तथा हृदय की समस्याएं बहुत तेजी से बढ़ रही हैं। जो लोग मांसाहार का सेवन ज्यादा करते हैं, उनमें क्रोध, कामुकता, धैर्य की कमी, नींद में असंतुलन आदि की समस्या ज्यादा होती है। यही नहीं मांसाहारी व्यक्ति का जीवनकाल भी शाकाहारी व्यक्ति की अपेक्षा कम होता है। अर्थात् शाकाहार का प्रयोग करने वाले लोग अधिक आयु तक जी सकते हैं तथा अधिक स्वस्थ रह सकते हैं। शाकाहार का प्रयोग करने वाले लोगों का मन अपेक्षाकृत शांत होता है।
पोषण में कम नहीं शाकाहार- हालांकि समाज में इसको लेकर कुछ भ्रांतियां भी हैं, जैसे कि शाकाहारी व्यक्ति में प्रोटीन तथा अन्य पौष्टिक तत्वों की कमी रहती है, तो आपको बता दें कि अकेले पनीर में ही 24.1 प्रतिशत प्रोटीन होता है। इसी प्रकार दूध, मक्खन, घी, शहद, गेहूं, चावल, ज्वार, बाजरा, दालें, आलू तथा पत्तेदार सब्जियों आदि की उचित मात्रा, यदि नियमित आहार में शामिल हो, तो मनुष्य को प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट्स मांसाहार की अपेक्षा कहीं अधिक मिलते हैं। इसीलिएशाकाहार की पूर्णता को लेकर किसी तरह का संदेह ना रखें।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, मध्यम आयु के वयस्क, जो पशु उत्पादों की अपेक्षा पौधे आधारित खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करते हैं, उनमें स्वस्थ हृदय होने की संभावना ज्यादा होती है।
पवन सिन्हा-आध्यात्मिक गुरु
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